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शशि थरूर ने ट्रंप के टैरिफ फैसले पर जताई चिंता

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इससे भारतीय उत्पादों की पहुंच अमेरिकी बाजार में कम हो जाएगी। थरूर ने अन्य देशों के मुकाबले भारत पर अधिक टैरिफ लगाने का भी जिक्र किया और अमेरिका के दोहरे मापदंडों की आलोचना की। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता है।
 

अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा

शशि थरूर: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 6 अगस्त, 2025 को भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने इस निर्णय को नकारात्मक बताया। उनका कहना है कि यदि हमारा कुल टैरिफ 50 प्रतिशत तक पहुँच जाता है, तो हमारे उत्पाद अमेरिका में कई लोगों के लिए महंगे हो जाएंगे।


अन्य देशों की तुलना में भारत पर अधिक टैरिफ

थरूर ने कहा, "अगर आप देखेंगे, तो वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों पर टैरिफ हमसे कम हैं। मुझे चिंता है कि जब अमेरिकी उपभोक्ताओं को अन्य जगहों पर सस्ते उत्पाद मिलेंगे, तो वे हमारे सामान को नहीं खरीदेंगे। यह हमारे निर्यात के लिए अच्छा नहीं है। हमें उन देशों और बाजारों में विविधता लाने की आवश्यकता है जो हमारी पेशकश में रुचि रखते हैं।"


ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ व्यापारिक संबंध

उन्होंने आगे कहा, "हमारा ब्रिटेन के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता है और हम यूरोपीय संघ के साथ बातचीत कर रहे हैं। ऐसे कई देश हैं जिनसे हमें उम्मीदें हैं। यह निश्चित रूप से एक झटका है।"


ट्रंप के दोहरे मापदंड

शशि थरूर का आरोप

थरूर ने ट्रंप पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम और पैलेडियम जैसी चीजें खरीद रहा है, जो उसके दोहरे मापदंड को दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन को 90 दिन का समय दिया गया है, जबकि चीन हमसे अधिक रूसी तेल आयात कर रहा है। यह दर्शाता है कि जिस देश को हम मित्र मानते थे, वह वास्तव में ऐसा नहीं है।


अमेरिका के रवैये पर प्रतिक्रिया

थरूर ने कहा, "अब जब हमें यह समझ में आ गया है कि अमेरिका का रवैया हमारे प्रति ठीक नहीं है, तो हमें उसी के अनुसार कार्य करना होगा। हमें इस अनुभव से सीख लेनी होगी। मुझे लगता है कि अब देश के भीतर भी अमेरिकी निर्यात पर इसी तरह के टैरिफ लगाने का दबाव होगा। इन परिस्थितियों में, हमें अपने अन्य व्यापारिक साझेदारों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा।"