शी जिनपिंग का तिब्बत दौरा: सांस्कृतिक दमन और राजनीतिक असहमति की चुनौतियाँ
चीनी राष्ट्रपति का तिब्बत दौरा
चीन: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ल्हासा में बीजिंग के शासन की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर तिब्बत का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने आधुनिक समाजवादी तिब्बत के निर्माण का आह्वान किया। हालांकि, तिब्बत अभी भी सांस्कृतिक दमन, धार्मिक नियंत्रण और राजनीतिक असहमति पर कड़ी पाबंदियों का सामना कर रहा है। शी ने ल्हासा में 20,000 लोगों को संबोधित किया, लेकिन उन्होंने निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा का कोई उल्लेख नहीं किया।
ल्हासा में पहुंचने पर, विभिन्न जातीय समूहों के लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अवसर पर लोग फूलों के गुलदस्ते लहराते हुए और पारंपरिक नृत्य करते हुए दिखाई दिए।
चीन ने तिब्बत पर अपने नियंत्रण को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें तिब्बत और उत्तर-पश्चिमी शिनजियांग को जोड़ने वाली एक बड़ी रेलवे परियोजना की घोषणा भी शामिल है।
राष्ट्रपति जिनपिंग का यह दौरा दलाई लामा के उस बयान के दो महीने बाद हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका उत्तराधिकारी उनका कार्यालय चुनेगा, न कि चीन।
हाल के वर्षों में, बड़ी संख्या में हान चीनी (चीन की बहुसंख्यक जाति) को तिब्बत में बसाया गया है। तिब्बत लगभग पूरी तरह से विदेशी पत्रकारों और यात्रियों के लिए बंद कर दिया गया है। हजारों तिब्बती बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर बोर्डिंग स्कूलों में भेजा गया है, जहां उन्हें चीनी (मैंडरिन) भाषा में शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा, यहां कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण से बाहर किसी भी राजनीतिक या सांस्कृतिक गतिविधि पर रोक है।