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शी जिनपिंग की अनुपस्थिति: ब्रिक्स सम्मेलन में चीन की शक्ति का संकट

चीन के नेता शी जिनपिंग की अनुपस्थिति ने ब्रिक्स सम्मेलन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह उनके घटते प्रभाव का संकेत है? इस लेख में जानें कि कैसे यह स्थिति चीन की राजनीति और वैश्विक संबंधों को प्रभावित कर सकती है। अमेरिका की प्रतिक्रिया भी महत्वपूर्ण है, जिसमें उन्होंने ब्रिक्स से जुड़े देशों पर टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है।
 

शी जिनपिंग का सत्ता से पीछे हटना

चीन के नेता शी जिनपिंग, जिन्हें तानाशाह के रूप में जाना जाता है, अब सत्ता को साझा करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। इस बदलाव के बीच, यह सवाल उठ रहा है कि क्या चीन में राष्ट्रपति का पद बदलने वाला है। 2012 में, शी ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में सत्ता संभाली और उसके बाद राष्ट्रपति और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के अध्यक्ष बन गए। हाल ही में, उनके बारे में कई चर्चाएँ हो रही हैं। इस समय, जब ब्रिक्स में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रभाव बढ़ रहा है, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या चीन की राजनीति में कोई बड़ा परिवर्तन आ रहा है।


शी जिनपिंग की अनुपस्थिति का कारण

ब्रिक्स सम्मेलन में शी जिनपिंग की अनुपस्थिति का कारण क्या है? क्या यह केवल शेड्यूलिंग का मुद्दा है, जैसा कि चीन ने कहा है, या यह उनके घटते प्रभाव का संकेत है? चीन के विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह पहली बार है जब शी जिनपिंग शेड्यूल संबंधी विवादों के कारण बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल एक शेड्यूलिंग समस्या नहीं है। कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि शी चीन की आर्थिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए रियो डी जेनेरियो से दूर रह रहे हैं।


ब्रिक्स सम्मेलन में शी की अनुपस्थिति का महत्व

ब्रिक्स सम्मेलन में शी जिनपिंग की अनुपस्थिति का महत्व है। इससे समूह की स्थिति कमजोर होती है। इसके अलावा, यह अवसर चीन के नेतृत्व को मजबूत करने का एक मौका था, जिसे उन्होंने खो दिया है। केवल शी ही नहीं, बल्कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं, जो कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के गिरफ्तारी वारंट का सामना कर रहे हैं।


अमेरिका की प्रतिक्रिया

ब्रिक्स के परिणाम चाहे जो भी हों, अमेरिका इस पर नजर रखे हुए है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने पहले ही ब्रिक्स समूह की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़े देशों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा।