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शी जिनपिंग की संभावित सेवानिवृत्ति पर चर्चा तेज

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हालिया अनुपस्थिति ने उनकी राजनीतिक भूमिका पर नई चर्चाएँ शुरू कर दी हैं। 2025 में होने वाले ब्रिक्स समिट में भाग न लेने के कारण, उनके नेतृत्व में बदलाव की संभावनाएँ जताई जा रही हैं। 2018 में राष्ट्रपति पद की सीमा हटाने के बाद, अब उनके करीबी सहयोगियों को जिम्मेदारियाँ सौंपी जा रही हैं। क्या यह सत्ता हस्तांतरण की तैयारी है? जानें इस महत्वपूर्ण विषय पर विशेषज्ञों की राय और शी जिनपिंग के भविष्य की दिशा के बारे में।
 

शी जिनपिंग की अनुपस्थिति से बढ़ी चर्चाएँ

शी जिनपिंग की सेवानिवृत्ति की खबरें: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2025 में होने वाले ब्रिक्स समिट में भाग नहीं लिया, जो उनके कार्यकाल का एक महत्वपूर्ण अपवाद माना जा रहा है। इस घटना के बाद से चीन में उनकी राजनीतिक भूमिका पर बहस तेज हो गई है। एक दशक से सत्ता में रहने वाले शी जिनपिंग अब राजनीतिक गतिविधियों में कम सक्रिय नजर आ रहे हैं। कई जिम्मेदारियां अब उनके करीबी सहयोगियों को सौंपी जा रही हैं, जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वे धीरे-धीरे सक्रिय नेतृत्व से पीछे हट रहे हैं.


2018 में, शी जिनपिंग ने राष्ट्रपति पद की सीमा को समाप्त कर दिया था, जिससे उन्हें अनिश्चितकालीन कार्यकाल की अनुमति मिली। उस समय, विश्लेषकों ने अनुमान लगाया था कि वे चीन के स्थायी नेता बनने की दिशा में बढ़ रहे हैं। लेकिन अब 2027 में संभावित चुनावों से पहले उनके बदलते रुख ने नई चर्चाओं को जन्म दिया है.


पार्टी मीटिंग में संकेत

पार्टी मीटिंग में संकेत


30 जून को, शी जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें उन्होंने समन्वय और कार्य निष्पादन पर जोर दिया। सरकारी एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, यह मीटिंग इस ओर इशारा करती है कि शी अब खुद को नीतिगत सलाहकार की भूमिका तक सीमित करना चाहते हैं और प्रशासनिक जिम्मेदारियां नए चेहरों को सौंपना चाहते हैं.


विशेषज्ञों के बीच मतभेद

विशेषज्ञों के बीच मतभेद


दक्षिण चीन मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह सत्ता हस्तांतरण की तैयारी का संकेत है। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि शी जिनपिंग केवल प्रशासनिक कार्यों से दूरी बना रहे हैं, लेकिन नीतिगत निर्णयों में उनकी भूमिका अभी भी महत्वपूर्ण बनी रहेगी.


अपने राष्ट्रपति काल में पहली बार, शी जिनपिंग ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल नहीं हुए। इस ऐतिहासिक अनुपस्थिति को लेकर भी राजनीतिक गलियारों में हलचल है और इसे उनके संभावित रिटायरमेंट से जोड़ा जा रहा है.