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शीतकालीन सत्र में शशि थरूर का प्राइवेट मेंबर बिल: वैवाहिक बलात्कार और कार्यस्थल सुरक्षा पर ध्यान

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने संसद के शीतकालीन सत्र में वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। उन्होंने इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि विवाह किसी महिला की सहमति को अमान्य नहीं कर सकता। इसके अलावा, थरूर ने कार्यस्थल पर अत्यधिक काम के बोझ और राज्यों के पुनर्गठन के लिए स्थायी आयोग की स्थापना पर भी दो अन्य बिल पेश किए। जानें इन विधायी प्रस्तावों के पीछे के तर्क और उनके महत्व के बारे में।
 

संसद में महत्वपूर्ण विधायी प्रस्ताव


शीतकालीन सत्र के दौरान शुक्रवार को संसद में कई महत्वपूर्ण विधायी प्रस्तावों पर चर्चा हुई। कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर बहस को नया मोड़ दिया। थरूर ने स्पष्ट किया कि विवाह किसी महिला की सहमति या असहमति के अधिकार को समाप्त नहीं कर सकता। इसके अलावा, उन्होंने कार्यस्थल पर ओवरवर्क से सुरक्षा और राज्यों के पुनर्गठन के लिए स्थायी आयोग की स्थापना से संबंधित दो और बिल पेश किए।


वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने की आवश्यकता

थरूर ने कहा कि भारत के कानूनी ढांचे में वैवाहिक बलात्कार के संबंध में एक महत्वपूर्ण कमी है, जिसे अब दूर करने का समय आ गया है। उन्होंने सुझाव दिया कि 'No Means No' के बजाय 'Only Yes Means Yes' का सिद्धांत अपनाया जाना चाहिए, ताकि महिलाओं को विवाह के भीतर भी शारीरिक स्वायत्तता का अधिकार मिल सके।


कानून में बदलाव की आवश्यकता

थरूर के पेश किए गए बिल में यह स्पष्ट किया गया है कि विवाह किसी भी स्थिति में महिला की सहमति को अमान्य नहीं कर सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि वैवाहिक बलात्कार केवल एक वैवाहिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हिंसा का मामला है, और इस अपवाद को हटाना भारत के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप है।


कार्यस्थल पर काम के दबाव से संबंधित बिल

एक अन्य बिल में, थरूर ने कार्यस्थल पर अत्यधिक काम के बोझ को गंभीर खतरा बताया। उन्होंने पुणे में EY की कर्मचारी अन्ना सेबेस्टियन की मौत का उल्लेख करते हुए कहा कि 49 घंटे से अधिक काम करने वाली 51% वर्कफोर्स बर्नआउट का सामना कर रही है, जिसे कानून द्वारा नियंत्रित किया जाना आवश्यक है।


राज्यों के पुनर्गठन के लिए स्थायी आयोग का प्रस्ताव

थरूर ने तीसरा प्राइवेट मेंबर बिल पेश करते हुए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुनर्गठन के लिए स्थायी आयोग की मांग की। उनका तर्क था कि भविष्य में किसी भी राज्य या क्षेत्र के गठन या बदलाव के लिए जनसंख्या, प्रशासनिक क्षमता, आर्थिक व्यवहार्यता और जनता की इच्छा जैसे पहलुओं का वैज्ञानिक आकलन आवश्यक है।


प्राइवेट मेंबर बिल की परिभाषा

प्राइवेट मेंबर बिल वह होता है जिसे किसी सांसद द्वारा पेश किया जाता है, न कि सरकार के किसी मंत्री द्वारा। ऐसे बिलों के माध्यम से सांसद जनता से जुड़े मुद्दों को उठाते हैं, हालांकि इनके कानून बनने की संभावना अपेक्षाकृत कम होती है।