शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में शुरू हुआ मुकदमा, बढ़ी मुश्किलें
शेख हसीना की बढ़ती मुश्किलें
नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में उनके खिलाफ मुकदमा शुरू हो गया है। यह मुकदमा उस समय के संदर्भ में है जब बांग्लादेश में तख्तापलट को एक साल पूरा होने वाला है, जो कि 5 अगस्त को होगा। तख्तापलट के बाद, शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था और उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी थी।
बांग्लादेश में तख्तापलट के एक साल पूरे होने के अवसर पर, पिछले साल 5 अगस्त को शुरू हुई हिंसा के कारण शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा था। वर्तमान में, बांग्लादेश की स्थिति अभी भी सामान्य नहीं हुई है। इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं। बांग्लादेश में हुई हिंसा के लिए शेख हसीना को जिम्मेदार ठहराया गया है।
मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार की ओर से ताजुल इस्लाम ने अदालत में सरकार का पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि शेख हसीना के कारण बांग्लादेश में हिंसा भड़की, इसलिए उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए। मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने शेख हसीना के साथ-साथ उनके दो सहयोगियों को भी हिंसा का दोषी ठहराया है। उन्होंने पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और आईजी चौधरी अब्दुल्ला अल मामुन को भी आरोपी माना है।
शेख हसीना पर आरोप
क्या है शेख हसीना पर आरोप
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में दायर मुकदमे में शेख हसीना पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि 2024 में छात्रों के प्रदर्शन को दबाने के लिए उन्होंने पुलिस को कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए थे, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश में हिंसा भड़की। इसके बाद, वह और कमाल देश छोड़कर चले गए। वहीं, चौधरी अब्दुल्ला पुलिस की हिरासत में हैं। उल्लेखनीय है कि शेख हसीना ने 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश छोड़ा था। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने कई बार भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है, लेकिन भारत ने इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। पिछले महीने, अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने शेख हसीना को देश से फरार रहने के आरोप में छह महीने की सजा सुनाई थी। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में 15 जुलाई से 15 अगस्त 2024 के बीच हुई हिंसा में 1400 लोगों की जान गई थी।