श्री धर्मस्थल मंजुनाथेश्वर मंदिर विवाद: सामाजिक कार्यों की छवि पर असर
मंदिर का सामाजिक योगदान
कर्नाटक का श्री धर्मस्थल मंजुनाथेश्वर मंदिर केवल पूजा का स्थल नहीं है, बल्कि यह समाज सेवा के लिए भी जाना जाता है। यहां प्रतिदिन हजारों लोगों को भोजन दिया जाता है, गरीबों को कर्ज से मुक्त किया जाता है, शराब की लत से छुटकारा दिलाने के प्रयास किए जाते हैं, युवाओं को शिक्षा प्रदान की जाती है और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाए जाते हैं।
विवाद का आरंभ
हाल ही में, इस मंदिर को एक विवाद का सामना करना पड़ा है। सोशल मीडिया पर एक पूर्व सफाई कर्मचारी द्वारा लगाए गए आरोपों ने मंदिर की छवि को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। इस कर्मचारी ने दावा किया है कि 1995 से 2014 के बीच मंदिर परिसर में कई शवों को गुप्त रूप से दफनाया गया।
सरकार की कार्रवाई
कर्नाटक सरकार ने इस गंभीर आरोप के बाद तुरंत विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। गृह मंत्री आर. अशोक ने कहा कि ये दावे अभी तक अपुष्ट हैं और किसी भी धार्मिक संस्था की प्रतिष्ठा को अफवाहों से नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। बीजेपी ने इसे मंदिर की छवि को खराब करने की सुनियोजित कोशिश बताया है।
मंदिर का इतिहास
श्री धर्मस्थल मंजुनाथेश्वर मंदिर लगभग 800 साल पुराना है। यहां पूजा वैष्णव परंपरा के हिंदू पुजारियों द्वारा की जाती है, जबकि इसका प्रशासन जैन-बंट समुदाय के पेरगडे परिवार के पास है। यह मंदिर धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए भी प्रसिद्ध है।
सामाजिक कार्यों की निरंतरता
मंदिर की सामाजिक शाखा, श्री क्षेत्र धर्मस्थल ग्रामीण विकास परियोजना (SKDRDP), ने लाखों लोगों के जीवन में सुधार किया है। पहले ग्रामीण इलाकों में लोग सूदखोरों से उच्च ब्याज पर कर्ज लेते थे, लेकिन अब SKDRDP ने उन्हें कम ब्याज पर माइक्रोफाइनेंस लोन प्रदान किया है। इसके अलावा, मंदिर ने शराब की लत से छुटकारा पाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान
मंदिर ने स्वास्थ्य सेवाओं में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। SDM मेडिकल ट्रस्ट के अस्पताल गरीबों को मुफ्त या सस्ते में इलाज प्रदान करते हैं। इसके अलावा, सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि दहेज और जाति की बाधाएं समाप्त हो सकें।