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संविधान दिवस 2025: राष्ट्रपति मुर्मू ने लोकतंत्र और विकास पर दिया जोर

भारत ने 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोकतंत्र और विकास पर जोर दिया। इस अवसर पर संविधान के नए भाषाई संस्करणों का विमोचन किया गया। उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने संविधान को स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बताया। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया। यह दिन नागरिक जिम्मेदारी और संविधान के प्रति सम्मान को पुनः स्थापित करने का अवसर है।
 

संविधान दिवस का महत्व


नई दिल्ली: हर साल 26 नवंबर को भारत संविधान दिवस के रूप में मनाता है, क्योंकि इसी दिन 1949 में संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अपनाया था। यह दिन उन मूल्यों और सिद्धांतों का उत्सव है, जिन्होंने भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया। वर्ष 2025 के संविधान दिवस पर पुरानी संसद के केंद्रीय कक्ष में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नेतृत्व किया।


राष्ट्रपति का संबोधन

लोकतंत्र और विकास पर जोर
अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने देशवासियों को संविधान दिवस की शुभकामनाएँ दीं और कहा कि भारत का लोकतंत्र आज पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत तेजी से आर्थिक विकास की ओर बढ़ रहा है और जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने इस ऐतिहासिक दिन का उल्लेख करते हुए कहा कि 26 नवंबर 1949 को इसी केंद्रीय कक्ष में संविधान का प्रारूप तैयार किया गया था, जिससे देश ने एक आधुनिक और प्रगतिशील राष्ट्र बनने की दिशा में कदम बढ़ाया।


संविधान के नए भाषाई संस्करण

संविधान के 9 नए भाषाई संस्करण जारी
इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के अनुवादित संस्करणों का विमोचन किया। उन्होंने मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया और असमिया भाषाओं में संविधान का संस्करण जारी किया। यह कदम देश की भाषाई विविधता को सम्मान देने और संविधान को अधिक से अधिक भारतीयों तक पहुँचाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।


उपराष्ट्रपति का दृष्टिकोण

संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं
उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति सी. पी. राधाकृष्णन ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया को भारत माता के महान सपूतों का सामूहिक योगदान बताया। उन्होंने कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष, त्याग और करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाओं का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने कहा, “हमारा संविधान सिद्ध करता है कि भारत एक है और सदैव एक रहेगा। यह हमारी बुद्धिमता, अनुभव और राष्ट्र के प्रति समर्पण का सार है।”


कार्यक्रम की गरिमा

राष्ट्रीय नेतृत्व की उपस्थिति
इस समारोह में देश के शीर्ष संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों की उपस्थिति रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य और कई सांसद इस कार्यक्रम में शामिल हुए। पुरानी संसद भवन का केंद्रीय कक्ष इस अवसर पर एक बार फिर इतिहास का साक्षी बना, जहाँ संविधान निर्माण और स्वतंत्र भारत की नींव रखी गई थी।


संविधान दिवस का संदेश

लोकतांत्रिक मूल्यों को याद करने का अवसर
संविधान दिवस हमें याद दिलाता है कि अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का पालन भी उतना ही आवश्यक है। यह दिन संविधान के प्रति सम्मान, नागरिक जिम्मेदारी और देश की एकता को मजबूत करने का संकल्प दोहराने का अवसर है।