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संसद में वंदे मातरम पर चर्चा: गौरव गोगोई का मोदी पर तीखा हमला

भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर संसद में विशेष चर्चा हुई, जिसमें कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने पीएम मोदी पर तीखा हमला किया। उन्होंने मोदी के भाषणों में पंडित नेहरू और कांग्रेस के नामों की बार-बार उपस्थिति पर सवाल उठाया। गोगोई ने वंदे मातरम के ऐतिहासिक महत्व और इसके स्वतंत्रता संग्राम में योगदान पर भी प्रकाश डाला। जानें इस चर्चा के प्रमुख बिंदु और गोगोई के विचार।
 

वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा

नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संसद में एक विशेष चर्चा आयोजित की गई। इस दौरान, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, जब भी मोदी किसी विषय पर बोलते हैं, वे पंडित नेहरू और कांग्रेस का नाम बार-बार लेते हैं। उदाहरण के लिए, ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में पंडित नेहरू का नाम 14 बार और कांग्रेस का नाम 50 बार लिया गया। इसी तरह, संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर पंडित नेहरू का नाम 10 बार और कांग्रेस का नाम 26 बार लिया गया। उन्होंने कहा कि, मोदी जी, आप जितनी भी कोशिश कर लें, पंडित नेहरू के योगदान पर एक भी दाग नहीं लगा पाएंगे।


गोगोई ने आगे कहा कि, मैं वंदे मातरम् पर हो रही इस महत्वपूर्ण चर्चा में भाग लेने के लिए खड़ा हूं। इस अवसर पर, मैं बंगाल की पवित्र भूमि को नमन करता हूं, जहां से कई महान विभूतियों ने जन्म लिया। बंगाल ने न केवल हमें राष्ट्रगान दिया, बल्कि राष्ट्रगीत भी दिया।


उन्होंने बताया कि उस समय के कवियों और लेखकों ने ऐसे शब्दों का प्रयोग किया, जिनसे स्वतंत्रता सेनानियों को साहस मिला। वंदे मातरम्, रवींद्रनाथ टैगोर के गीतों और अन्य नारों ने देश को प्रेरित किया। बंकिम चंद्र चटर्जी ने 1872 में वंदे मातरम् की पहली पंक्तियां लिखीं, जो आज हमारे राष्ट्रगीत का हिस्सा हैं।


गौरव गोगोई ने कहा कि वंदे मातरम् एक गीत था, जो 1905 में एक राजनीतिक नारे में बदल गया। उस समय वायसराय कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया, जिससे स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा मिली।


उन्होंने बताया कि वंदे मातरम् का नारा धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया। यह नारा न केवल स्वतंत्रता सेनानियों के बीच, बल्कि छात्रों के बीच भी लोकप्रिय हो गया।


गोगोई ने कहा कि 1937 में कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने यह निर्णय लिया कि हर राष्ट्रीय सभा में वंदे मातरम् की पंक्तियों को गाया जाएगा। हालांकि, मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा ने इस निर्णय की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी जनता के साथ चलेगी, न कि किसी राजनीतिक दल के साथ।