संस्कृति पर्व के विशेष अंक का लोकार्पण: नए भारत की शक्ति और साहस का दस्तावेज
संस्कृति पर्व के विशेष अंक का लोकार्पण
संस्कृति पर्व के विशेष अंक का लोकार्पण: यह भारत का सिंदूरी शौर्य पथ है, जो नए भारत को विश्व के समक्ष प्रस्तुत कर रहा है। संस्कृति पर्व पत्रिका ने ऑपरेशन सिंदूर पर आधारित इस अंक को जिस प्रकार से तैयार किया है, वह नए भारत के शौर्य और पराक्रम का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने इस अंक के लोकार्पण के अवसर पर यह बात कही। इस मौके पर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नए भारत की संस्कृति, शक्ति और साहस को देखकर पूरी दुनिया चकित है। यह नया भारत अब विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर है। सतीश महाना और शिव प्रताप शुक्ल ने इस विशेष अंक के संयोजन के लिए संपादकीय टीम को बधाई दी।
इस अवसर पर पत्रिका के संपादक आचार्य संजय तिवारी ने विधानसभा अध्यक्ष को संस्कृति पर्व परिवार की ओर से अभिनंदन पत्र भी भेंट किया। विद्वत परिषद के वरिष्ठ सदस्य श्रीधर अग्निहोत्री ने हिमाचल के राज्यपाल को विद्वत परिषद की ओर से अभिनंदन पत्र प्रदान किया।
वक्ताओं ने इस अवसर पर कहा कि कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुई घटना के बाद भारतीय आक्रोश ने विश्व परिदृश्य को प्रभावित किया है। भारत ने आतंकवाद के मूल पर आक्रमण कर अपनी सामरिक शक्ति से दुनिया को चौंका दिया है और अपने शत्रुओं में भय पैदा किया है। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने अपने साहस और संकल्प का परिचय दिया है। यह घटना निश्चित रूप से भारत के शौर्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज की जाएगी। संसद में इस विषय पर चर्चा होने जा रही है। यह संयोग है कि संस्कृति पर्व का यह विशेष अंक आज लोकार्पित हो रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद विश्व का नजरिया भारत के प्रति बदल चुका है। इसी पर ध्यान केंद्रित करते हुए संस्कृति पर्व ने इस विशेष अंक का आयोजन किया है। इसके 42वें विशेषांक में आचार्य संजय तिवारी ने कई महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया है, जो भारत की भावी पीढ़ी के लिए स्वर्णिम इतिहास का दस्तावेज बनेंगे। इसमें भारत की शक्ति, रक्षा, धर्म, अर्थ, और सामरिक चुनौतियों पर प्रामाणिक आलेख शामिल हैं। यह निश्चित रूप से एक श्रमसाध्य कार्य रहा है।
जुलाई और अगस्त 2025 के संयुक्तांक के रूप में यह अंक उस समय प्रकाशित हुआ है जब संसद में इस विषय पर गंभीर चर्चा हो चुकी है। संस्कृति पर्व के इस अंक में एक सशक्त सामरिक भारत की तस्वीर प्रस्तुत की गई है।