सरकार का जीएसटी 2.0: स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर राहत की उम्मीद
जीएसटी 2.0 के तहत संभावित राहत
नई दिल्ली: त्योहारी सीजन से पहले आम जनता के लिए एक महत्वपूर्ण राहत की संभावना है। सरकार द्वारा प्रस्तावित 'जीएसटी 2.0' सुधारों के अंतर्गत स्वास्थ्य और जीवन बीमा को वस्तु एवं सेवा कर (GST) से पूरी तरह बाहर करने का विचार किया जा रहा है। जीएसटी परिषद द्वारा गठित एक विशेष मंत्री समूह ने इन दोनों आवश्यक सेवाओं पर 18% टैक्स समाप्त करने की सिफारिश की है। यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो बीमा पॉलिसी के प्रीमियम में कमी आएगी, जिससे करोड़ों लोगों का वित्तीय बोझ हल्का होगा।
सरकार के सुधारों का उद्देश्य
सरकार का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल और तर्कसंगत बनाना है, जिसके लिए 'जीएसटी 2.0' लाने की योजना बनाई जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि इन सुधारों का मुख्य ध्यान किसानों, मध्यम वर्ग और छोटे व्यापारियों को लाभ पहुंचाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर इन सुधारों को 'दिवाली का तोहफा' बताया था। इस योजना के तहत जीएसटी की कई दरों को समाप्त कर केवल दो स्लैब - 5% और 18% रखने का प्रस्ताव है, जबकि सिगरेट और लग्जरी कारों पर 40% की उच्च दर लागू रह सकती है।
मंत्री समूह की बैठक में सहमति
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में हुई मंत्री समूह की बैठक में यह सहमति बनी कि स्वास्थ्य और जीवन बीमा जैसी आवश्यक सेवाओं को टैक्स से मुक्त किया जाना चाहिए। वर्तमान में, इन पॉलिसियों पर 18% जीएसटी लगता है। यदि यह टैक्स हटता है, तो बीमा पॉलिसी खरीदना सस्ता हो जाएगा, जिससे देश में बीमा की पहुंच बढ़ेगी।
राज्यों की चिंताएं
बैठक के दौरान कुछ राज्यों ने चिंता व्यक्त की कि टैक्स छूट का लाभ बीमा कंपनियों से सीधे ग्राहकों तक कैसे पहुंचेगा, क्योंकि इस छूट के बाद कंपनियां इन सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा नहीं कर पाएंगी। इस मुद्दे को ध्यान में रखते हुए, मंत्री समूह ने जीएसटी परिषद से एक ऐसा तंत्र विकसित करने का आग्रह किया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि छूट का पूरा लाभ आम जनता तक पहुंचे।
अगली बैठक में निर्णय
मंत्री समूह अब अपनी विस्तृत रिपोर्ट जीएसटी परिषद को सौंपेगा। इस रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय सितंबर में होने वाली परिषद की अगली बैठक में लिया जाएगा, जिसमें केंद्र और सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होंगे। यदि परिषद इस सिफारिश को मंजूरी देती है, तो यह देश के करोड़ों पॉलिसीधारकों के लिए एक बड़ी सौगात होगी।