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सरकार का नया ग्रामीण रोजगार बिल: क्या है VB G RAM G?

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में VB G RAM G बिल पेश किया है, जो ग्रामीण रोजगार की व्यवस्था में सुधार लाने का प्रयास है। इस बिल का उद्देश्य स्थायी आजीविका और कौशल विकास को बढ़ावा देना है। हालांकि, विपक्ष ने इस पर कड़ा विरोध जताया है, यह आरोप लगाते हुए कि यह मनरेगा जैसी गारंटी आधारित योजनाओं को कमजोर कर सकता है। जानें इस बिल के संभावित प्रभाव और सरकार का दृष्टिकोण।
 

सरकार का नया कदम ग्रामीण रोजगार में सुधार के लिए

सरकार ने ग्रामीण रोजगार से संबंधित व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को लोकसभा में विकसित भारत रोजगार और आजीविका मिशन ग्रामीण VB G RAM G बिल पेश किया। जैसे ही यह बिल सदन में प्रस्तुत किया गया, विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया।


VB G RAM G बिल का उद्देश्य

सरकार का दावा है कि यह नया बिल मौजूदा ग्रामीण रोजगार ढांचे को अधिक प्रभावी बनाने के लिए लाया गया है। इस प्रस्तावित कानून के तहत गांवों में रोजगार के साथ-साथ स्थायी आजीविका, कौशल विकास और स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग पर जोर दिया जाएगा।


सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस मिशन का मुख्य लक्ष्य केवल मजदूरी प्रदान करना नहीं है, बल्कि ग्रामीण परिवारों की आय को स्थिर बनाना है।


मनरेगा से VB G RAM G बिल में क्या अंतर है?

मनरेगा की शुरुआत 2006 में हुई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य 100 दिन के रोजगार की गारंटी देना था। इसके विपरीत, VB G RAM G बिल रोजगार को विकास योजनाओं से जोड़ने की बात करता है।


विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रस्तावित बिल में कौशल आधारित कार्यों को प्राथमिकता, कृषि और ग्रामीण उद्योगों से संबंधित नौकरियों, और स्थानीय स्तर पर परिसंपत्तियों के निर्माण पर ध्यान दिया गया है।


लोकसभा में हंगामा क्यों हुआ?

जब मंत्री ने बिल पेश करने के लिए अपनी सीट छोड़ी, विपक्षी दलों ने विरोध शुरू कर दिया। उनका आरोप है कि सरकार मनरेगा जैसी गारंटी आधारित योजना को कमजोर करना चाहती है।


कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी विरोध में आगे बढ़ते हुए सरकार से पूछा कि क्या नए कानून में गरीबों को वही रोजगार सुरक्षा मिलेगी जो मनरेगा प्रदान करता रहा है।


विपक्ष की चिंताएं

विपक्षी सांसदों का कहना है कि मनरेगा ग्रामीण गरीबों के लिए एक सुरक्षा कवच रहा है। नए बिल में रोजगार की गारंटी स्पष्ट नहीं है और राज्यों की भूमिका और बजट को लेकर भ्रम है।


उनका मानना है कि बिना व्यापक चर्चा के ऐसा बदलाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है।


सरकार का दृष्टिकोण

सरकार का तर्क है कि ग्रामीण भारत की जरूरतें बदल रही हैं। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुसार, केवल अस्थायी मजदूरी से आगे बढ़कर आत्मनिर्भर गांव बनाना आवश्यक है।


उनका कहना है कि यह मिशन विकसित भारत के लक्ष्य के अनुरूप है और इससे युवाओं को स्थानीय स्तर पर अवसर मिलेंगे।


बिल का संभावित प्रभाव

यदि यह बिल कानून बनता है, तो ग्रामीण रोजगार की संरचना में बदलाव आएगा। पंचायत और राज्य सरकारों की भूमिका को नए सिरे से परिभाषित किया जाएगा और मनरेगा के मौजूदा लाभार्थियों के लिए नई शर्तें लागू हो सकती हैं।


नीति विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सही तरीके से लागू किया गया, तो यह ग्रामीण विकास को नई दिशा दे सकता है, लेकिन अस्थिरता से बचना आवश्यक होगा।


आगे की प्रक्रिया

अब यह बिल संसद की समीक्षा प्रक्रिया से गुजरेगा। संसदीय समिति में चर्चा और संशोधन के बाद ही इसके भविष्य पर निर्णय लिया जाएगा। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस और तेज होने की संभावना है।