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सरकार का बड़ा बयान: 2000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर नहीं लगेगा जीएसटी

केंद्र सरकार ने यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने की योजना को खारिज कर दिया है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट किया कि 2000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर जीएसटी नहीं लगेगा। इसके अलावा, उन्होंने सरकारी बैंकों में कर्मचारियों की स्थिति और राजस्व घाटे की संभावनाओं पर भी जानकारी दी। जानें इस महत्वपूर्ण अपडेट के बारे में और क्या कहा गया है।
 

यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी का मुद्दा


यूपीआई लेनदेन पर सरकार का स्पष्टीकरण: केंद्र सरकार ने हाल ही में यूपीआई लेनदेन के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि 2000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लागू नहीं होगा।


22 जुलाई को राज्यसभा में पूछे गए सवालों के जवाब में, मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि वित्त मंत्रालय इस प्रकार के लेनदेन पर जीएसटी लगाने की कोई योजना नहीं बना रहा है। उन्होंने कहा, "जीएसटी परिषद ने 2000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने की कोई सिफारिश नहीं की है।"


राजस्व घाटे की स्थिति

चौधरी ने आगे कहा कि वर्तमान में सरकार को किसी भी प्रकार के राजस्व घाटे का सामना नहीं करना पड़ रहा है और वह 2025-26 के बजट लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में कार्यरत है। इस वित्तीय वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 15.69 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो जीडीपी का 4.4 प्रतिशत है।


बैंकों में कर्मचारियों की स्थिति

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, चौधरी ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 31 मार्च, 2025 तक 96 प्रतिशत कर्मचारी अपनी व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुसार कार्यरत हैं।


उन्होंने कहा, "कर्मचारियों की यह कमी सेवानिवृत्ति और अन्य सामान्य कारणों से है। पिछले 5 वर्षों में, बैंकों ने 148,687 कर्मचारियों की भर्ती की है और वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 48570 कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है।"


जीएसटी नोटिस का मुद्दा

खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि कर्नाटक में छोटे व्यापारियों को जीएसटी नोटिस राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए हैं, जिसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है।


जोशी ने स्पष्ट किया कि जीएसटी के दो घटक हैं - सीजीएसटी (केंद्रीय जीएसटी) और एसजीएसटी (राज्य जीएसटी)। कर्नाटक में छोटे व्यापारियों को नोटिस राज्य के वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा जारी किए गए थे।