सरकार की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की पहल
करनाल में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
करनाल (प्राकृतिक खेती): सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। ऑर्गेनिक अनाज के उत्पादन से सभी की सेहत में सुधार होगा। किसानों को ऑर्गेनिक फसलों को बेचने में कोई कठिनाई न हो, इसके लिए गुड़गांव और हिसार में दो नई मंडियां स्थापित की जाएंगी।
किसानों के लिए नई मंडियों का लाभ
किसान अपनी फसलें आसानी से बेच सकेंगे
इन मंडियों के माध्यम से किसान अपनी ऑर्गेनिक फसलें बेच सकेंगे, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने दी। वे सोमवार को महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय का दौरा कर रहे थे, जहां कुलपति प्रो. सुरेश मल्होत्रा ने उनका स्वागत किया।
फसलों में रासायनिक खाद का कम उपयोग
कृषि मंत्री ने बताया कि किसान मुख्यतः गेहूं और धान की खेती करते हैं, जिसमें रासायनिक खाद और दवाओं का अधिक उपयोग होता है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। सरकार चाहती है कि किसान मोटे अनाज की खेती करें, जिससे उनकी सेहत और आमदनी दोनों में सुधार होगा।
प्राकृतिक खेती के लिए अनुदान
प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन
सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को बड़े पैमाने पर अनुदान प्रदान कर रही है। इसके अलावा, किसानों को ऑर्गेनिक फसलों को बेचने में कोई समस्या न हो, इसके लिए दो मंडियों का निर्माण किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि बिना रासायनिक खाद के उगाई गई फसलों को ही प्राकृतिक खेती माना जाता है।
विश्वविद्यालय की प्रगति
कुलपति प्रो. सुरेश मल्होत्रा ने कृषि मंत्री को एमएचयू के शैक्षणिक, शोध और प्रचार गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मुख्य कैंपस का निर्माण तेजी से चल रहा है और यह 2026 तक पूरा हो जाएगा। विश्वविद्यालय लगातार नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है, जो प्रदेश और केंद्र सरकार के उद्देश्यों के अनुरूप है।
कृषि मंत्री ने कुलपति प्रो. सुरेश के साथ एमएचयू के मुख्य कैंपस के निर्माण स्थल का निरीक्षण किया और कार्य की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य समय पर पूरा किया जाना चाहिए। इस अवसर पर कुलसचिव सुरेश सैनी और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।