सर्दी-ज़ुकाम में सेल्फ-मेडिकेशन के खतरे और सावधानियाँ
सर्दी-ज़ुकाम: एक सामान्य समस्या
सर्दी और खांसी की दवाओं के दुष्प्रभाव: सर्दी-ज़ुकाम एक सामान्य समस्या है, जो मौसम में बदलाव या वायरल संक्रमण के कारण होती है। बारिश के मौसम में यह समस्या अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि इस दौरान बारिश और धूप दोनों का सामना करना पड़ता है। इससे शरीर का तापमान बदलता है और लोग बीमार पड़ जाते हैं।
सेल्फ-मेडिकेशन: क्या यह सही है?
अधिकतर लोग बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयाँ लेना शुरू कर देते हैं, जिसे सेल्फ-मेडिकेशन कहा जाता है। लेकिन क्या यह सही है? आइए इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
विशेषज्ञों की राय
स्टेरिस हेल्थकेयर के सीईओ और फार्मा विशेषज्ञ जीवन कसारा का कहना है कि सर्दी-ज़ुकाम में खुद से दवा लेना कितना खतरनाक हो सकता है। कभी-कभी शरीर को दवा की आवश्यकता नहीं होती या गलत दवा लेने से समस्या और बढ़ सकती है।
सेल्फ-मेडिकेशन के खतरे
1. गलत दवा का चयन: सर्दी-ज़ुकाम के कारण हमेशा एक जैसे नहीं होते। कभी-कभी यह बैक्टीरियल संक्रमण या एलर्जी भी हो सकती है। गलत दवा लेने से साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
2. एंटीबायोटिक का गलत उपयोग: लोग अक्सर बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक लेते हैं, जबकि सर्दी-ज़ुकाम ज्यादातर वायरस के कारण होता है, जिन पर एंटीबायोटिक का असर नहीं होता। इससे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस बढ़ सकता है।
3. डोज का सही न होना: दवा का सही डोज न जानने से या तो दवा का असर नहीं होगा या शरीर को नुकसान हो सकता है।
सर्दी-ज़ुकाम में क्या करें और क्या न करें?
आराम करें और हाइड्रेटेड रहें: सर्दी-ज़ुकाम में आराम करना और पानी पीना बहुत जरूरी है। सूप या हर्बल चाय पीने से भी लाभ होता है।
भाप लेना फायदेमंद है: नाक बंद होने या गले में खराश होने पर दिन में 2-3 बार भाप लें।
घरेलू उपाय अपनाएं: हल्का गरम पानी पिएं, अदरक-शहद, तुलसी वाली चाय जैसे घरेलू नुस्खे अपनाएं।
ओवर-द-काउंटर दवा सोच-समझकर लें: अगर जरूरत हो तो केवल बुनियादी दवाइयां जैसे पेरासिटामोल लें, लेकिन लंबे समय तक दवा न खाएं।
एंटीबायोटिक खुद से न लें: यह दवाएं केवल डॉक्टर की सलाह पर ही लेनी चाहिए।
लक्षण लंबे समय तक रहें तो डॉक्टर से मिलें: अगर 3-4 दिन से ज्यादा बुखार, सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, कान में दर्द या गले में सूजन हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
कब डॉक्टर से सलाह जरूरी है?
- जब बुखार 101°F से ज्यादा हो जाए।
- सांस लेने में तकलीफ महसूस हो।
- बच्चा या बुजुर्ग बीमार हो।
- 4-5 दिन में भी सेहत में सुधार न हो।