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सासाराम में बारिश ने मचाई तबाही, 30 भैंसों की मौत

सासाराम के नौहट्टा क्षेत्र में बारिश ने तबाही मचाई, जिसमें 30 भैंसों की मौत हो गई। पशुपालकों की आजीविका पर गंभीर संकट आ गया है। प्रशासन ने मुआवजे का आश्वासन दिया है। यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी पर सवाल उठाती है। जानें इस घटना के बारे में और क्या कदम उठाए जाएंगे।
 

सासाराम में बारिश का कहर

सामान्यतः बारिश ग्रामीण क्षेत्रों में राहत और हरियाली लाती है, लेकिन इस बार सासाराम के नौहट्टा क्षेत्र में बारिश ने विनाश का संदेश भेजा। गुरुवार शाम को अचानक गिरी बिजली ने कई पशुपालकों की आजीविका छीन ली। कैमूर पहाड़ी पर घास चर रही 30 भैंसें तड़पकर गिर गईं। इस दिल दहला देने वाले दृश्य को देखकर लोग आज भी भयभीत हैं।


पशुपालकों पर आर्थिक संकट

नौहट्टा थाना क्षेत्र के बजरमारवा और बैजलपुर गांव के पशुपालक अपने झुंड की भैंसों को रोज की तरह कैमूर पहाड़ी पर ले गए थे। शाम होते-होते मौसम अचानक खराब हो गया। तेज बारिश और गरजती बिजली ने लोगों को झोपड़ियों में छिपने पर मजबूर कर दिया। तभी एक जोरदार धमाके के साथ आकाशीय बिजली भैंसों के झुंड पर गिरी और 30 भैंसें मौके पर ही मर गईं। ग्रामीणों ने बताया कि उस समय ऐसा लगा जैसे पूरा क्षेत्र हिल गया हो।


प्रशासन की संवेदनाएं

भारी आर्थिक झटका झेल रहे पशुपालक

इस घटना में सबसे अधिक नुकसान बैजलपुर अधौरा गांव के रामधनी यादव को हुआ, जिनकी 15 भैंसें मारी गईं। वहीं, बनूआ निवासी चेला यादव की एक भैंस भी मरी। ग्रामीणों का कहना है कि यह नुकसान उनके परिवार की आजीविका पर गंभीर संकट लाया है। भैंसें उनके लिए दूध और उससे जुड़ी आमदनी का मुख्य स्रोत थीं। इस अचानक हुए हादसे ने त्योहार के मौसम में उनका सब कुछ छीन लिया।


प्रशासन ने जताई संवेदना

प्रशासन ने जताई संवेदना

नौहट्टा प्रखंड की सीओ हिंदुजा भारती ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि कैमूर पहाड़ी और आसपास के गांवों में वज्रपात से 30 पशुधन की मौत की सूचना मिली है। उन्होंने बताया कि प्रभावित पशुपालकों से आवेदन मिलते ही मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। दुर्गा पूजा अवकाश के कारण आवेदन प्रक्रिया में एक दिन की देरी होगी, लेकिन सरकार की ओर से सहायता का आश्वासन दिया गया है।


प्राकृतिक आपदा या चेतावनी?

प्राकृतिक आपदा या चेतावनी?

यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए कितनी तैयारी है। हर साल बिहार और झारखंड के कई हिस्सों में वज्रपात से सैकड़ों लोगों और हजारों मवेशियों की मौत होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि गांवों में बिजली गिरने से बचने के लिए 'लाइटनिंग प्रोटेक्शन सिस्टम' और सुरक्षित आश्रय स्थल आवश्यक हैं। ग्रामीण भी चाहते हैं कि सरकार ऐसी घटनाओं के लिए स्थायी समाधान निकाले।