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सिक्किम: सतत मत्स्य पालन में अग्रणी राज्य

सिक्किम, भारत का एक पहाड़ी राज्य, अब सतत मत्स्य पालन के क्षेत्र में एक मिसाल बन चुका है। पर्यावरण और वन मंत्री कर्मा लोडे गुरंग ने बताया कि राज्य ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सतत मत्स्य पालन का उद्देश्य जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखना और मछलियों की आबादी को बनाए रखना है। जानें कैसे सिक्किम ने कड़े नियम, जैविक खेती और स्थानीय समुदायों की भागीदारी के माध्यम से इस क्षेत्र में सफलता हासिल की है।
 

सिक्किम का सतत मत्स्य पालन

भारत का खूबसूरत पहाड़ी राज्य सिक्किम अब केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि 'सतत मत्स्य पालन' के क्षेत्र में भी एक मिसाल बन रहा है। हाल ही में, सिक्किम के पर्यावरण और वन मंत्री, कर्मा लोडे गुरंग ने बताया कि राज्य ने इस क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान हासिल कर लिया है, जो न केवल देश के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रेरणा का स्रोत है।


सतत मत्स्य पालन का अर्थ है ऐसे तरीके अपनाना जो जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान न पहुंचाएं, मछलियों की आबादी को बनाए रखें और भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधनों को सुरक्षित रखें। इसमें अवैध मछली पकड़ने पर रोक, प्रदूषित जल में मछली पालन से बचना और पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों का उपयोग शामिल है।


मंत्री गुरंग के अनुसार, सिक्किम ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं: कड़े नियम और नीतियों का निर्माण, जैविक खेती और जल संरक्षण को बढ़ावा देना, स्थानीय समुदायों की भागीदारी को सुनिश्चित करना, और मत्स्य पालन से संबंधित शोध और विकास को प्रोत्साहित करना। सिक्किम की विकास नीति पूरी तरह से पर्यावरण संरक्षण पर आधारित है, जिसका लाभ मत्स्य पालन को भी मिल रहा है।