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सीएम भगवंत मान ने मनरेगा के खिलाफ केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा में मनरेगा के खिलाफ केंद्र सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि भाजपा ने मनरेगा को खत्म कर दलितों और गरीबों के रोजगार की गारंटी छीन ली है। मान ने केंद्र सरकार से नए विकसित भारत जी-राम-जी कानून को वापस लेने की मांग की और कहा कि यह कानून कमजोर वर्गों के अधिकारों पर हमला है। उन्होंने कांग्रेस पर भी आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। इस चर्चा में मान ने पंजाब के हितों की रक्षा के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
 

पंजाब विधानसभा में मनरेगा पर चर्चा

*- अकाली दल भाजपा के साथ इस पाप में शामिल, इसलिए मनरेगा खत्म करने पर चुप है- भगवंत मान


*- आम आदमी पार्टी दलितों और श्रमिकों की आवाज बनेगी और उनकी बात पीएम तक पहुंचाएगी- भगवंत मान


*- भाजपा की केंद्र सरकार पंजाब के खिलाफ लगातार निर्णय ले रही है- भगवंत मान


*- केंद्र अपने चहेते उद्योगपतियों को सब्सिडी देता है, जबकि गरीबों का अधिकार छीनता है- भगवंत मान


*- भारत कैसे ‘विश्वगुरु’ बनेगा जब दलितों और गरीबों से भोजन का अधिकार छीन लिया गया है?- भगवंत मान


*- कांग्रेस की बहस से भागने की मानसिकता गरीब विरोधी है- भगवंत मान


*- विधानसभा के विशेष सत्र में मनरेगा को चालू रखने का प्रस्ताव पास किया गया


चंडीगढ़: मंगलवार को पंजाब विधानसभा में मनरेगा के स्थान पर लाए गए नए विकसित भारत जी-राम-जी कानून पर चर्चा हुई। इस दौरान मनरेगा को चालू रखने और केंद्र सरकार द्वारा किए गए बदलावों के विरोध में प्रस्ताव ध्वनि मत से पास किया गया। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि भाजपा ने मनरेगा को समाप्त कर दलितों और गरीबों के रोजगार की गारंटी छीन ली है। उन्होंने भाजपा से मांग की कि वह इस नए कानून को वापस ले और मनरेगा को फिर से लागू करे।


मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने मनरेगा का नाम बदलकर ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ रख दिया है, जिससे इसकी मूल भावना समाप्त हो गई है। इस नए कानून के तहत गरीब मजदूरों और जॉब कार्ड धारक परिवारों से गारंटीड रोजगार का अधिकार छीन लिया गया है। उन्होंने बताया कि मनरेगा एक मांग-आधारित योजना थी, जबकि नई योजना मानकों पर आधारित है, जो जनता के हित में नहीं है।


उन्होंने चेतावनी दी कि नए कानून के लागू होने से कमजोर वर्गों की आर्थिक स्थिति और खराब होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून सामाजिक और आर्थिक रूप से अनुसूचित जातियों और महिलाओं को कमजोर करने की साजिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का यह कदम आम आदमी से भोजन छीनने की कोशिश है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों को फसलों पर एमएसपी की गारंटी देने के बजाय मजदूरों से उनके काम की गारंटी भी छीन ली है। उन्होंने कहा कि भाजपा एक गहरे ‘पंजाब-विरोधी सिंड्रोम’ से ग्रस्त है और इसी कारण वह पंजाब के हितों के खिलाफ फैसले ले रही है।


उन्होंने कहा कि यदि भाजपा की मनमानी जारी रही, तो वह राष्ट्रीय गान से भी पंजाब का नाम हटाने में देर नहीं लगाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार बार-बार सौतेला व्यवहार कर रही है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि अडानी जैसे उद्योगपतियों को सब्सिडी दी जा रही है, जबकि गरीबों के कल्याण के बजट को घटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार केवल आंकड़ों का खेल खेल रही है।


भगवंत मान ने सवाल उठाया कि गरीबों से भोजन और बुनियादी सुविधाएं छीनकर भारत कैसे ‘विश्वगुरु’ बनेगा। उन्होंने अकाली दल की चुप्पी पर भी सवाल उठाया और कहा कि वे भाजपा के साथ गठबंधन की आस में चुप हैं।


मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार जनता की ‘ए-टीम’ है और राज्य के हित में हर कदम उठाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ऐसे जन-विरोधी फैसले लिए गए, तो जनता उन्हें गांवों में घुसने नहीं देगी।


मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पार्टी पर भी तीखा हमला करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए सस्ती चालें चल रही है। उन्होंने कांग्रेस से स्पष्ट रुख बताने की मांग की कि वह नई योजना को स्वीकार करती है या नहीं।