सीजेआई बीआर गवई का रिटायरमेंट से पहले आवास को लेकर बयान
सीजेआई गवई का बयान
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने गुरुवार को कहा कि नवंबर में उनके रिटायरमेंट से पहले उपयुक्त आवास मिलने की संभावना कम है, लेकिन वे निर्धारित समय सीमा के भीतर अपना आधिकारिक निवास खाली कर देंगे। यह टिप्पणी पूर्व मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ पर एक तंज के रूप में देखी जा रही है। गवई ने यह बात न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया को विदाई देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कही, जो सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन द्वारा आयोजित किया गया था।
सीजेआई गवई की विदाई पर टिप्पणी
गवई ने कहा, 'मैं न्यायमूर्ति धूलिया को तब से जानता हूं जब वे सर्वोच्च न्यायालय में आए थे। वे एक मिलनसार व्यक्ति हैं और उन्होंने अपने जीवन को न्यायपालिका को समर्पित किया है। हम उनके योगदान को हमेशा याद रखेंगे। रिटायरमेंट के बाद वे उन न्यायाधीशों में से एक होंगे जो तुरंत अपना सरकारी आवास खाली कर देंगे।' उन्होंने यह भी कहा कि यह दुर्लभ है, और वे ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि उन्हें 24 नवंबर तक उपयुक्त घर नहीं मिलेगा। लेकिन वे नियमों के अनुसार समय से पहले वहां शिफ्ट हो जाएंगे।
सीजेआई गवई की टिप्पणी का संदर्भ
गवई की यह टिप्पणी पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ पर एक तंज मानी जा रही है, जिन्होंने 8 नवंबर, 2024 को रिटायर होने के बाद हाल ही में अपना आधिकारिक आवास खाली किया है। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने एक जुलाई को आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखकर चंद्रचूड़ से कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगला संख्या 5 को खाली कराने का अनुरोध किया था।
न्यायमूर्ति धूलिया के महत्वपूर्ण फैसले
न्यायमूर्ति धूलिया कई महत्वपूर्ण मामलों का हिस्सा रहे हैं, जिनमें कर्नाटक का हिजाब प्रतिबंध मामला भी शामिल है। उन्होंने इस मामले में बहुमत से अलग राय देते हुए कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक नहीं होनी चाहिए। उनका मानना था कि वे हिजाब का बचाव नहीं कर रहे थे, बल्कि महिलाओं के पहनावे की स्वतंत्रता का समर्थन कर रहे थे।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया का जीवन और उपलब्धियां
धूलिया ने एक फैसले में उर्दू भाषा को इस भूमि की देन बताते हुए इसे 'गंगा-जमुनी तहज़ीब' का श्रेष्ठ उदाहरण कहा। उनका मानना था कि इसे केवल मुस्लिमों की भाषा मानना वास्तविकता से भटकाव है। 10 अगस्त 1960 को जन्मे धूलिया ने देहरादून, इलाहाबाद और लखनऊ में शिक्षा प्राप्त की। वे 1 नवंबर 2008 को उत्तराखंड हाई कोर्ट के स्थायी जज बने और 10 जनवरी 2021 को गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए।