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सीबीआई की जांच में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के 20 प्रोजेक्ट शामिल

सीबीआई ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सब्सिडी योजना के तहत 20 प्रोजेक्ट्स की जांच शुरू की है। इस जांच में 10,000 से अधिक फ्लैट खरीदारों के बैंक लोन की समीक्षा की जाएगी। बिल्डरों ने 2014 में प्रोजेक्ट्स लॉन्च किए थे, लेकिन कई दिवालिया हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच, सीबीआई ने हाल ही में महत्वपूर्ण तथ्य जुटाए हैं। जानें इस मामले की पूरी जानकारी।
 

सीबीआई की जांच में शामिल प्रोजेक्ट्स

सीबीआई, जो सब्सिडी योजना के मामले की जांच कर रही है, ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण से विभिन्न ग्रुप हाउसिंग प्लॉटों की जानकारी मांगी है। इसमें प्लॉट के मूल आवंटन, उप-विभाजन और प्राधिकरण के बकाया से संबंधित सवाल शामिल हैं। सीबीआई ने 22 मामलों में जांच शुरू की है, जिसमें जिले के तीनों प्राधिकरणों के अंतर्गत 20 प्रोजेक्ट शामिल हैं। यह जांच 10,000 से अधिक फ्लैट खरीदारों के बैंक लोन की भी समीक्षा करेगी।


बिल्डरों ने 2017-18 तक की थी लॉन्च

2014 में नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सब्सिडी योजना के तहत ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की गई थी। बिल्डरों ने इन्हें 2017-18 तक लॉन्च किया। इन प्रोजेक्ट्स के लिए बिल्डरों ने बैंकों से लोन लिया था, जिसमें यह वादा किया गया था कि वे कब्जा मिलने तक बैंक की किश्तें चुकाते रहेंगे। हालांकि, इनमें से अधिकांश बिल्डर दिवालिया हो गए हैं, जिससे फ्लैट खरीदारों की स्थिति गंभीर हो गई है। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। हाल ही में सीबीआई की छापेमारी में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं।


सुपरटेक के 11 प्रोजेक्ट्स पर जांच

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस योजना में हुई धोखाधड़ी के मामले में 28 जुलाई को नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के क्षेत्रों में 22 मामले दर्ज किए हैं। गौतमबुद्ध नगर के तीनों प्राधिकरणों के 20 प्रोजेक्ट्स और उनके बिल्डर इस जांच में शामिल हैं, जिनमें से सबसे अधिक 11 प्रोजेक्ट सुपरटेक के हैं। जेपी ग्रुप के तीन प्रोजेक्ट भी इस सूची में शामिल हैं।


10,000 खरीदारों की जांच

सीबीआई को उन खरीदारों की जानकारी मिली है, जिनकी याचिका इस मामले में शामिल की गई है। अब 10,000 से अधिक खरीदारों का ब्योरा निकाला जाएगा। इस प्रकार, ये प्रोजेक्ट्स और इनमें फ्लैटों की बिक्री जांच के दायरे में आएंगे। जांच में फंड डायवर्जन की दिशा भी तय की जाएगी, जिससे बिल्डरों के अन्य प्रोजेक्ट्स और कंपनियों की भी जांच की जा सकेगी।