सुप्रीम कोर्ट का आदेश: मानव-वन्यजीव संघर्ष को प्राकृतिक आपदा के रूप में मान्यता
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे मानव-वन्यजीव संघर्ष को प्राकृतिक आपदा के रूप में अधिसूचित करें। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता में सुनवाई करते हुए, अदालत ने यह भी आदेश दिया कि ऐसे संघर्षों के शिकार हुए व्यक्तियों को केंद्र सरकार की योजना के तहत 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी राज्यों में फसल क्षति, मानव जीवन और पशुधन के नुकसान के लिए प्रभावी और समावेशी मुआवजा नीतियों का होना आवश्यक है। इसके साथ ही, इन समस्याओं को कम करने के लिए विभिन्न एजेंसियों और विभागों के बीच बेहतर समन्वय और जिम्मेदारियों का निर्धारण किया जाना चाहिए। एक अन्य मामले में, कोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध वृक्षारोपण और निर्माण पर भी सुनवाई की। उत्तराखंड राज्य को कॉर्बेट की पारिस्थितिकी को पुनर्स्थापित करने और मरम्मत करने की पूरी जिम्मेदारी दी गई है। राज्य को दो महीने के भीतर एक बहाली योजना प्रस्तुत करने, तीन महीने में अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने और एक साल में अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, सभी राज्यों को अगले छह महीनों में अपने बाघ अभयारण्यों के बफर और कोर क्षेत्रों को अधिसूचित करने का भी आदेश दिया गया है।