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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: निठारी हत्याकांड में सुरेंद्र कोली को मिली रिहाई

सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड में सुरेंद्र कोली को रिहा करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सभी आरोपों से उसे बरी करते हुए कहा कि सबूत अपर्याप्त हैं। यह मामला 2006 में सामने आया था, जब नोएडा में 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे। जानें इस मामले की पूरी कहानी और कोर्ट के निर्णय के पीछे की वजहें।
 

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निठारी हत्याकांड से जुड़े मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए सुरेंद्र कोली को रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि कोली पर लगाए गए सभी आरोपों से उसे बरी किया जाता है और उसकी सभी सजाएं रद्द की जाती हैं।


कोर्ट की कार्यवाही

जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2011 के पुनर्विचार फैसले को पलटते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की अपील स्वीकार की जाती है और इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया जाता है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि सुरेंद्र कोली को तुरंत रिहा किया जाए।


निठारी हत्याकांड का इतिहास

यह निर्णय निठारी हत्याकांड के संदर्भ में आया, जिसने 2006 में पूरे देश को हिला दिया था। नोएडा के निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे। इस घटना ने पुलिस और समाज को झकझोर कर रख दिया था।


मामले की जांच

पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने आरोप लगाया कि कोली बच्चों और महिलाओं को बहला-फुसलाकर लाता था, उनके साथ दुष्कर्म करता और फिर हत्या कर शवों को नाले में फेंक देता था। इस मामले ने पूरे देश में आक्रोश पैदा किया। जांच सीबीआई को सौंपी गई, जिसने कई मामलों में चार्जशीट दाखिल की।


कोली के खिलाफ आरोप

कोली पर 13 मामलों में आरोप लगाए गए थे, जबकि पंढेर का कुछ मामलों में सहआरोपी के रूप में नाम आया। समय के साथ अदालतों ने सुनवाई की और कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया, लेकिन एक मामले में 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी उम्रकैद की सजा बरकरार रखी थी।


न्याय का नया अध्याय

अब सुप्रीम कोर्ट ने उस पुराने फैसले को पलटते हुए कहा है कि कोली के खिलाफ सबूत पर्याप्त नहीं हैं और जांच में गंभीर खामियां रही हैं। इसलिए न्याय के हित में उसे बरी किया जाता है।