सुप्रीम कोर्ट का पटाखों पर देशव्यापी प्रतिबंध का सुझाव
पटाखों पर प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
पटाखों पर प्रतिबंध: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पटाखों के उपयोग पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। अदालत ने यह सवाल उठाया कि जब दिल्ली-एनसीआर के निवासियों को स्वच्छ हवा का अधिकार है, तो अन्य शहरों के लोग क्यों इससे वंचित रहें। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि यदि पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है, तो यह पूरे देश में लागू होना चाहिए, न कि केवल दिल्ली तक सीमित।
सीजेआई ने कहा, 'हम केवल दिल्ली के लिए नीति नहीं बना सकते क्योंकि वे देश के एलीट नागरिक हैं। पिछले साल जब मैं अमृतसर गया था, वहां प्रदूषण दिल्ली से भी अधिक था। यदि पटाखों पर बैन लगाना है, तो यह पूरे भारत में होना चाहिए।' यह टिप्पणी त्योहारों के मौसम से पहले आई है, जब आमतौर पर आतिशबाजी से प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है।
देशभर में पटाखों की नीति लागू करने की आवश्यकता
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने तर्क दिया कि एलीट वर्ग अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखता है और प्रदूषण के समय दिल्ली छोड़कर चला जाता है। अदालत ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि पटाखों पर नीति पूरे देश में लागू होनी चाहिए। बेंच ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को नोटिस जारी किया है, जिसमें देशव्यापी पटाखा प्रतिबंध की मांग वाली याचिका पर जवाब मांगा गया है।
एनसीआर में पहले से लागू कड़े प्रतिबंध
यह बहस ऐसे समय में हो रही है जब पिछले वर्षों में दिवाली के अवसर पर दिल्ली और एनसीआर में कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे।
19 दिसंबर 2024 को दिल्ली सरकार ने सालभर के लिए पटाखों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया।
17 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को यूपी और हरियाणा के एनसीआर जिलों तक बढ़ा दिया।
3 अप्रैल 2025 को अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रतिबंध केवल कुछ महीनों के लिए नहीं होगा और 'ग्रीन क्रैकर्स' को भी छूट नहीं मिलेगी।
मई 2025 में कोर्ट ने आदेश दिया कि एनसीआर राज्यों को इस फैसले का सख्ती से पालन कराना होगा, अन्यथा अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
देशव्यापी बैन का संभावित आदेश
यदि सुप्रीम कोर्ट देशव्यापी बैन का आदेश देता है, तो सभी राज्यों को दिल्ली-एनसीआर जैसी नीतियां लागू करनी होंगी। इसका मतलब है कि निर्माण से लेकर बिक्री और उपयोग तक हर स्तर पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। दिवाली से पहले यह फैसला सार्वजनिक नीति और लोगों की उम्मीदों को बदल सकता है।