सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: राजनीतिक दलों को POSH एक्ट से बाहर रखा
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट POSH एक्ट: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राजनीतिक दलों को यौन उत्पीड़न से महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए POSH एक्ट, 2013 के दायरे से बाहर रखा है। अदालत ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक दलों और उनके सदस्यों के बीच नियोक्ता-कर्मचारी का संबंध नहीं होता, इसलिए उन्हें कार्यस्थल की परिभाषा में शामिल नहीं किया जा सकता। इस निर्णय के बाद, राजनीतिक दलों में कार्यरत महिलाओं को POSH एक्ट के तहत सुरक्षा नहीं मिलेगी।
याचिका पर सुनवाई का इनकार
यह निर्णय उस याचिका पर आया है जिसमें यह मांग की गई थी कि राजनीति में सक्रिय महिलाओं को भी POSH एक्ट का लाभ मिलना चाहिए। याचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया कि केरल हाई कोर्ट का मार्च 2022 का आदेश, जिसमें राजनीतिक दलों को आंतरिक शिकायत समिति बनाने से मुक्त किया गया था, महिलाओं के अधिकारों को कमजोर करता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को मानने से इनकार कर दिया।
सुरक्षा की आवश्यकता
इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा सुरक्षा की जरूरत
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि POSH एक्ट सुप्रीम कोर्ट के विशाखा बनाम राजस्थान मामले के आधार पर बनाया गया था और इसकी परिभाषाएं जानबूझकर व्यापक रखी गईं ताकि अधिक से अधिक महिलाएं इसका लाभ उठा सकें। लेकिन हाई कोर्ट का निर्णय इस उद्देश्य को कमजोर करता है। उन्होंने यह भी बताया कि राजनीति, मीडिया और फिल्म जैसे गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में महिलाओं को सबसे अधिक सुरक्षा की आवश्यकता है।
याचिकाओं का खारिज होना
कई याचिकाओं को किया खारिज
अदालत ने इससे पहले भी इसी तरह की कई याचिकाओं को खारिज किया था। पिछले साल दिसंबर में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को आंतरिक शिकायत समिति बनाने के लिए चुनाव आयोग प्रेरित कर सकता है, लेकिन अदालत इस पर कोई सीधा आदेश नहीं दे सकती।