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सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: कैदी की जमानत के बावजूद चार हफ्ते तक हिरासत में रहना सिस्टम की विफलता

सुप्रीम कोर्ट ने गाजियाबाद जेल में एक कैदी की जमानत के बावजूद चार हफ्तों तक हिरासत में रहने को गंभीरता से लिया है। अदालत ने इसे सिस्टम की विफलता करार देते हुए राज्य सरकार को हर्जाना देने का आदेश दिया। जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने कहा कि तकनीकी गलतियों के बहाने किसी की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। इस मामले में जेल प्रशासन की लापरवाही और न्यायपालिका की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं।
 

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

न्यायपालिका ने नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। गाजियाबाद जेल में एक कैदी को जमानत मिलने के बावजूद लगभग चार हफ्तों तक हिरासत में रखा गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसे “सिस्टम फेलियर” करार दिया और राज्य सरकार को पांच लाख रुपये का हर्जाना देने का आदेश दिया।


इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ, जिसमें जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एनके सिंह शामिल थे, ने स्पष्ट किया कि तकनीकी या दफ्तर की गलतियों के बहाने किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा, “यह केवल एक लिपिकीय गलती नहीं है, बल्कि पूरी प्रणाली की विफलता है।”


जमानत मिलने के बावजूद कैदी की रिहाई में देरी का कारण यह था कि जेल प्रशासन ने एक उपधारा का उल्लेख नहीं किया था, जिसके आधार पर रिहाई में टालमटोल किया गया। अदालत ने कहा कि जब सभी जानकारी उपलब्ध है और आदेश स्पष्ट है, तो छोटी-मोटी प्रक्रियात्मक गलतियों के आधार पर किसी की रिहाई को टालना न केवल अन्याय है, बल्कि संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन भी है।


सुनवाई के दौरान जेल अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया गया, जबकि जेल विभाग के उप-महानिरीक्षक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने जेल प्रशासन का पक्ष रखा, लेकिन अदालत ने उनके तर्कों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मामला केवल एक ‘मानव त्रुटि’ नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि पूरी व्यवस्था कैसे विफल हो सकती है।


सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि आज़ादी हमारे संविधान की आत्मा है और इसे नौकरशाही की लापरवाही या गैर-जिम्मेदाराना रवैये की बलि नहीं चढ़ाया जा सकता।