सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी: पति-पत्नी के विवाद में अहंकार छोड़ने की सलाह
सुप्रीम कोर्ट का वैवाहिक विवाद पर निर्णय
नई दिल्ली - सुप्रीम कोर्ट ने एक वैवाहिक विवाद के मामले में सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि पत्नी को अपने पति को लट्टू की तरह घुमाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चों की भलाई के लिए दंपति को अपने अहंकार को छोड़कर एक साथ रहने पर विचार करना चाहिए।
इस मामले में पति-पत्नी दोनों सरकारी नौकरी में हैं। पत्नी पटना में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत हैं, जबकि पति दिल्ली में भारतीय रेलवे में काम कर रहे हैं। उनकी शादी 2018 में हुई थी, और उनके दो बच्चे हैं - एक बेटी और एक बेटा। शादी के कुछ वर्षों बाद, दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं, और 2023 में पत्नी अपने पति का घर छोड़कर अपने माता-पिता के पास पटना चली गईं। पति का आरोप है कि पत्नी चाहती हैं कि वह पटना में अपने सास-ससुर के घर रहकर घरजमाई बनें, जबकि वह इसके खिलाफ हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पत्नी ने पति के खिलाफ वैवाहिक विवाद का मामला दर्ज कराया, जो लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। इस दौरान पत्नी ने केस को दूसरी शिफ्ट करने की याचिका भी दी।
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया। अदालत ने कहा कि कोर्ट का उद्देश्य झगड़ा बढ़ाना नहीं, बल्कि रिश्तों को सुधारना है। कोर्ट ने दंपति से कहा कि उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि उनके अहंकार के कारण उनके छोटे बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। अदालत ने कहा कि माता-पिता को अपने अहंकार को किनारे रखकर बच्चों के भविष्य को प्राथमिकता देनी चाहिए। कोर्ट ने पत्नी से कहा कि वह पति को लट्टू की तरह घुमाने का विचार न करें। मामले में कोई निर्णय देने के बजाय, कोर्ट ने दंपति को मीडिएशन सेंटर की मदद लेने की सलाह दी, ताकि दोनों के बीच कोई समाधान निकल सके। कोर्ट ने कहा कि अहंकार और गुस्से के बजाय त्याग, बातचीत और सहयोग से ही रिश्तों को बचाया जा सकता है। इसलिए उन्हें परिवार को बचाने की सोच रखनी चाहिए।