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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उठे सवाल, क्या मोदी सरकार को धोखा हुआ?

सोशल मीडिया पर चल रही बहस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ उठाए गए सवालों को और बढ़ा दिया है। भाजपा समर्थक हैंडल्स का कहना है कि ओआरएफ ने भारत की नीतियों में दखल दिया है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा की जांच का आदेश दिया है, जिससे विवाद और गहरा हो गया है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे के कारण।
 

सोशल मीडिया में बहस का केंद्र

यह मुद्दा हाल ही में सोशल मीडिया पर चल रही एक महत्वपूर्ण बहस और सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के कारण उभरा है। भाजपा समर्थक सोशल मीडिया हैंडल्स ने इस चर्चा को शुरू किया है, जिसमें कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के साथ धोखा हुआ है। इस मामले में सीधे तौर पर कुछ कहने के बजाय, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) का नाम लिया जा रहा है। ध्यान देने योग्य है कि इस संगठन की स्थापना रिलायंस समूह के संस्थापक धीरूभाई अंबानी ने 1990 में की थी और इसकी फंडिंग भी रिलायंस द्वारा की जाती है। इसके अध्यक्ष समीर सरन हैं, जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर के बेटे ध्रुव जयशंकर इसका अमेरिका में कार्यालय संभालते हैं.


भारत की नीतियों में दखल?

यह आरोप लगाया जा रहा है कि ओआरएफ ने भारत की नीतियों में हस्तक्षेप किया है और इसके निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित किया है। सोशल मीडिया पर चर्चा इस स्तर तक पहुंच गई है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल के बीच संबंधों में खटास आ गई है, और इस विवाद की जड़ में उनका टकराव बताया जा रहा है। इसे अडानी बनाम अंबानी विवाद के रूप में भी देखा जा रहा है.


सुप्रीम कोर्ट की जांच का आदेश

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश अंबानी के बेटे द्वारा जामनगर में स्थापित वनतारा की जांच का आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने चार सदस्यों की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया है, जो वनतारा में गलत तरीके से संरक्षित जानवरों के रखरखाव के आरोपों की जांच करेगी। उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी वनतारा का दौरा कर चुके हैं और उन्होंने इस प्रयोग की सराहना की थी.