×

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर जूते फेंकने की कोशिश की निंदा

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूते फेंकने की कोशिश की घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस घटना की निंदा करते हुए पीएम मोदी और विभिन्न राजनीतिक दलों ने इसे गंभीरता से लिया है। बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम ने इस पर अपनी भावनाएँ व्यक्त की हैं, जो दलित समुदाय से हैं। उन्होंने इसे केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि संविधान और सामाजिक न्याय के मूल्यों पर प्रहार बताया। जानें इस घटना के पीछे की कहानी और इसके राजनीतिक प्रभावों के बारे में।
 

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर हमला

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूते फेंकने की कोशिश का मामला तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस घटना की निंदा देश के विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों द्वारा की गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस घटना की कड़ी आलोचना की है। बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम, जो स्वयं दलित समुदाय से हैं, इस घटना पर भावुक हो गए और कहा कि यह सभी दलितों के लिए एक दुखद अनुभव है। उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति गवई दलित समुदाय से मुख्य न्यायाधीश बनने वाले दूसरे व्यक्ति हैं और पहले बौद्ध हैं।


राजेश राम की भावनाएँ

सदाकत आश्रम में आयोजित एक प्रेस वार्ता में राजेश राम ने कहा कि यह घटना सुप्रीम कोर्ट पर एक हमला है और लाखों दलितों का अपमान है। उन्होंने कहा कि जब एक व्यक्ति समाज में इतनी ऊँचाई पर पहुँचता है, तो उसे कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद, यदि समाज उसे स्वीकार नहीं करता, तो वह अपने घर में भी अपमानित महसूस करता है।


दलितों की प्रगति पर सवाल

राजेश राम ने यह भी कहा कि यह वही देश है, जहाँ बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान के माध्यम से सभी को समान अधिकार और सम्मान का हक दिया। आज जब एक दलित अपनी मेहनत और निष्ठा से सर्वोच्च न्यायिक पद पर है, तब एक विशेष विचारधारा इसे स्वीकार नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की कोशिश केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि भारत के संविधान और सामाजिक न्याय के मूल्यों पर सीधा प्रहार है।


राजेश राम का ट्वीट