सुप्रीम कोर्ट ने कफ सिरप से बच्चों की मौत की जांच के लिए जनहित याचिका पर सुनवाई की स्वीकृति दी
सुप्रीम कोर्ट में कफ सिरप से हुई मौतों की जांच की मांग
कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है। याचिका में इस गंभीर मुद्दे की जांच राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या सीबीआई के माध्यम से विशेषज्ञों की समिति द्वारा कराने की मांग की गई है।
सुनवाई की तारीख और न्यायालय की बेंच
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस उज्ज्वल भुयान और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने सुनवाई की तारीख 10 अक्टूबर निर्धारित की है।
याचिका में उठाए गए मुद्दे
वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि मामले की निगरानी रिटायर जज द्वारा की जाए, ताकि निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित हो सके।
कफ सिरप के रसायनों पर सख्त नियमों की मांग
याचिका में कफ सिरप में उपयोग होने वाले रसायनों, जैसे डायइथाइलीन ग्लाइकॉल और एथलीन ग्लाइकॉल की बिक्री और निगरानी के लिए सख्त नियम बनाने की भी मांग की गई है। इसके साथ ही, पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने और विभिन्न राज्यों में दर्ज एफआईआर को एकत्रित कर संयुक्त जांच कराने की अपील की गई है।
कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
याचिका में उन कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने, उन्हें तुरंत बंद करने और उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई है, जो विषैले कफ सिरप का उत्पादन कर रही हैं। इसके अलावा, बाजार से संबंधित उत्पादों को वापस मंगाने और ड्रग्स रिकॉल पॉलिसी बनाने की भी गुजारिश की गई है।
पुलिस की कार्रवाई
इससे पहले, मध्य प्रदेश पुलिस ने छिंदवाड़ा में कफ सिरप पीने के कारण 20 से अधिक बच्चों की मौत के मामले में दवा कंपनी के मालिक को गिरफ्तार किया है। इस तमिलनाडु की कंपनी के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया है।
जांच की प्रगति
मामले में छिंदवाड़ा जिले के परासिया उप-मंडल के सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण सोनी को निलंबित किया जा चुका है। इसके साथ ही, जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन भी किया गया है।
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Pic Credit : Media House