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सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका खारिज की

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उनकी याचिका खारिज होने के बाद महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। जस्टिस वर्मा ने अपने घर से मिली नकदी के मामले में कार्रवाई को चुनौती दी थी। अब उनके सामने इस्तीफा देने या महाभियोग का सामना करने का विकल्प है। जानें पूरी कहानी में क्या है आगे।
 

जस्टिस वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से झटका

नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ा झटका मिला है। सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस वर्मा ने अपने घर से मिली नकदी के मामले में की गई कार्रवाई को चुनौती देने के लिए याचिका दायर की थी। उल्लेखनीय है कि उनके नई दिल्ली के लुटियन क्षेत्र में स्थित बंगले से पांच सौ के नोटों के बंडल बरामद हुए थे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की एक जांच समिति का गठन किया। इस समिति ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की है। जस्टिस वर्मा ने इस जांच और सिफारिश को रद्द करने की मांग की थी।


इस रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने यह रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी है। इसी रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस वर्मा के खिलाफ लोकसभा में महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया गया है। अब उनके सामने दो विकल्प हैं। यदि वे अपने पद से इस्तीफा देते हैं, तो महाभियोग का सामना करने से बच सकते हैं और रिटायर जज के रूप में पेंशन प्राप्त कर सकते हैं। दूसरी ओर, यदि उन्हें महाभियोग के जरिए हटाया जाता है, तो वे पेंशन और अन्य लाभों से वंचित रह जाएंगे। जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है।


यह ध्यान देने योग्य है कि मानसून सत्र के दौरान लोकसभा के 152 सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। वहीं, राज्यसभा में भी 50 से अधिक सांसदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। हालांकि, अब तक किसी भी सदन में इस नोटिस को स्वीकार नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद लोकसभा में प्रस्ताव को स्वीकार किया जाएगा और जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा।