सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट गठन अध्यादेश पर रोक लगाई
बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट गठन अध्यादेश पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट गठन अध्यादेश: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर निर्माण और ट्रस्ट गठन अध्यादेश के मामले में सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित समिति के कार्यों को स्थगित करने का आदेश दिया। यह समिति मंदिर के प्रबंधन का अधिकार रखती थी।
अदालत ने याचिकाकर्ताओं को अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की अनुमति दी है और कहा कि उच्च न्यायालय के निर्णय तक राज्य की समिति को स्थगित रखा जाएगा। इस दौरान एक अंतरिम समिति का गठन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश करेंगे, जिसमें सरकारी अधिकारी और मंदिर के सेवायत गोस्वामी शामिल होंगे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह भी कहा कि 15 मई के निर्णय के कुछ हिस्सों को वापस लिया जाएगा, जिसमें राज्य को मंदिर कोष का उपयोग पुनर्विकास कार्यों में करने की अनुमति दी गई थी। भारत सरकार के अधिवक्ता के एम नटराज ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित संबंधित याचिका की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की और इसे डिवीजन बेंच को सौंपने का अनुरोध किया। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दिवान, कपिल सिब्बल और गोपाल शंकर नारायणन ने पेशी दी, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने पक्ष रखा।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि आदेश कल तक अपलोड कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम आपको उच्च न्यायालय में अध्यादेश को चुनौती देने की अनुमति देंगे। अध्यादेश के तहत बनी समिति का गठन स्थगित किया जाएगा ताकि उच्च न्यायालय के निर्णय तक इसे लागू न किया जाए। इस बीच, हम उच्च न्यायालय के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक समिति बनाएंगे। इसमें कुछ सरकारी अधिकारी और गोस्वामी समाज के सदस्य शामिल होंगे।
4 अगस्त को अदालत ने तीखी टिप्पणियां करते हुए पूछा था कि यूपी सरकार ने इतनी जल्दी अध्यादेश लागू करने की आवश्यकता क्यों महसूस की। अदालत ने यह भी असहमति जताई थी कि राज्य सरकार ने 15 मई के निर्णय के माध्यम से मंदिर के कोष के उपयोग की अनुमति पाने के लिए गोपनीय तरीके से अनुमति प्राप्त की, जबकि उस दीवानी विवाद में मंदिर प्रबंधन पक्षकार नहीं था।
उच्च न्यायालय रिटायर्ड जज कमेटी को यह तय करने का अधिकार देगा कि मंदिर के लिए भूमि अधिग्रहण और अन्य व्यवस्थाएं कैसे की जाएंगी। 5 अगस्त को यूपी सरकार ने कहा था कि उसका उद्देश्य इस अध्यादेश के माध्यम से किसी भी धार्मिक अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करना है। सरकार ने यह भी बताया था कि जल्द ही इस अध्यादेश को विधानमंडल के पटल पर रखा जाएगा। अदालत ने यूपी सरकार के प्रस्ताव का अवलोकन करने के बाद याचिकाकर्ताओं से भी सुझाव देने को कहा था। साथ ही, दोनों पक्षों से यह भी कहा गया था कि मंदिर प्रबंधन की देखरेख के लिए एक अंतरिम समिति के अध्यक्ष पद हेतु किसी पूर्व उच्च न्यायालय जज का नाम सुझाएं।
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि वह बनाई गई समिति को सभी अधिकार प्रदान करेगा ताकि मंदिर का सुचारू प्रबंधन हो सके। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि लोगों को वहां मरने नहीं दिया जाएगा। वहीं, सुप्रीम कोर्ट से अध्यादेश पर स्टे आर्डर आने के बाद गोस्वामी समाज में खुशी की लहर दौड़ गई। गोस्वामी समाज की महिलाएं बांके बिहारी मंदिर में पहुंचकर खुशी मनाई और एक-दूसरे को मिठाई बांटी।