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सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर चुनाव आयोग को दिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान पर सुनवाई की। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर कार्ड को आवश्यक दस्तावेजों में शामिल करने पर विचार करे। इसके अलावा, कोर्ट ने तीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर जवाब मांगा और सुनवाई की अगली तारीख 28 जुलाई निर्धारित की। चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया कि किसी को भी बिना सुनवाई के मतदाता सूची से बाहर नहीं किया जाएगा।
 

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में महत्वपूर्ण निर्देश

नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान से संबंधित याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह पुनरीक्षण के लिए आवश्यक दस्तावेजों में आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर कार्ड को शामिल करने पर विचार करे। इसके साथ ही, कोर्ट ने तीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा। सुनवाई की अगली तारीख 28 जुलाई निर्धारित की गई है।


सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर कोई रोक नहीं लगाई है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने अंतरिम रोक की मांग नहीं की थी। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ ने कहा कि हम एक संवैधानिक संस्था को उसके कार्य करने से नहीं रोक सकते। कोर्ट ने चुनाव आयोग को अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है, जबकि याचिकाकर्ताओं को इसके एक सप्ताह बाद जवाब देने के लिए कहा गया है।


तीन मुद्दों पर चुनाव आयोग से जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से तीन मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि यह मुद्दा लोकतंत्र की नींव और मतदान के अधिकार से जुड़ा है। याचिकाकर्ता न केवल चुनाव आयोग के मतदान कराने के अधिकार को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि इसकी प्रक्रिया और समय को भी चुनौती दे रहे हैं। इन तीन मुद्दों पर जवाब देना आवश्यक है।


चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल

सुनवाई के दौरान जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने चुनाव आयोग के वकील से पूछा कि आप इस प्रक्रिया को नवंबर में होने वाले चुनाव से क्यों जोड़ रहे हैं? यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो पूरे देश के चुनाव से स्वतंत्र हो सकती है। चुनाव आयोग के वकील ने आश्वासन दिया कि प्रक्रिया का पालन किया जाएगा और बिना सुनवाई के किसी को भी मतदाता सूची से बाहर नहीं किया जाएगा।


मतदाताओं के बिना चुनाव आयोग का अस्तित्व नहीं

चुनाव आयोग के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसका मतदाताओं से सीधा संबंध है। यदि मतदाता नहीं होंगे, तो आयोग का अस्तित्व ही नहीं रहेगा। आयोग किसी को भी मतदाता सूची से बाहर करने का इरादा नहीं रखता है, जब तक कि कानून के प्रावधानों द्वारा ऐसा करने के लिए बाध्य न किया जाए। हम धर्म, जाति आदि के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते।