सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को फटकार लगाई, पीड़ित को 25 लाख का मुआवजा
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
नई दिल्ली: एक व्यक्ति को उसकी सजा पूरी करने के बावजूद साढ़े चार साल से अधिक समय तक जेल में रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा रुख अपनाया। शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए पीड़ित को ₹25 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया और इसे 'राज्य की व्यवस्थागत विफलता' तथा 'मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन' करार दिया।
सोहन सिंह का मामला
यह मामला बलात्कार के दोषी सोहन सिंह से संबंधित है, जिनकी रिहाई का आदेश मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2017 में दिया था। हाईकोर्ट ने उनकी आजीवन कारावास की सजा को घटाकर सात साल कर दिया था। इसके बावजूद, सोहन सिंह को जेल से रिहा नहीं किया गया और वह अपनी वैध सजा से लगभग 4.7 वर्ष अधिक समय तक कैद में रहे।
अदालत की नाराजगी
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान गहरी नाराजगी व्यक्त की। पीठ ने कहा, 'यह बेहद चौंकाने वाला है। किसी व्यक्ति को उसकी सजा से अधिक समय तक कैद में रखना अस्वीकार्य है।' अदालत ने राज्य सरकार द्वारा दायर किए गए भ्रामक हलफनामों पर भी असंतोष व्यक्त किया।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश
इस गंभीर चूक को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि वह राज्य की सभी जेलों का सर्वेक्षण करे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अन्य कैदी भी सोहन सिंह की तरह अपनी सजा पूरी करने या जमानत मिलने के बावजूद जेल में न हो।
जवाबदेही की मांग
अदालत ने अगस्त में राज्य सरकार से जवाबदेही तय करने को कहा था। अदालत ने पूछा, 'हम जानना चाहते हैं कि इतनी गंभीर चूक कैसे हुई और याचिकाकर्ता सात साल की सजा काटने के बाद भी अतिरिक्त समय तक जेल में क्यों रहा?' यह मामला तब सामने आया जब सोहन सिंह ने हाईकोर्ट के रिहाई के आदेश के बावजूद जेल में रखे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
जेल प्रशासन पर सवाल
इस पूरे प्रकरण ने जेल प्रशासन और राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और यह सवाल अब भी बना हुआ है कि इस घोर लापरवाही के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है?