सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की अहमियत पर की चर्चा, नेपाल और बांग्लादेश के हालात का जिक्र
संविधान की ताकत पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
नई दिल्ली - सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान संविधान की शक्ति और उसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार किया। न्यायालय ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व होना चाहिए, क्योंकि यह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है और लोकतंत्र को सशक्त बनाता है।
हिंसक प्रदर्शनों का संदर्भ
सुनवाई के दौरान नेपाल में हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों और पिछले साल बांग्लादेश में हुई घटनाओं का उल्लेख किया गया। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने बताया कि संविधान में राष्ट्रपति को किसी भी कानून से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट से सलाह लेने का अधिकार दिया गया है, जो इसे और अधिक प्रभावी बनाता है।
राष्ट्रपति और राज्यपालों के विधेयकों पर सुनवाई
सर्वोच्च न्यायालय में 12 अप्रैल के आदेश के संदर्भ में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और राज्यपालों द्वारा विधेयकों को मंजूरी देने की समय सीमा पर चर्चा हुई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि राज्यपालों द्वारा विधेयकों को रोकने की घटनाएं बढ़ी हैं। कपिल सिब्बल ने कहा कि 2014 के बाद से ऐसे मामलों में वृद्धि हुई है।
राज्यपाल की भूमिका
सॉलिसिटर जनरल ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्यपाल केंद्र सरकार का प्रतिनिधि नहीं होता, बल्कि एक निष्पक्ष संवैधानिक अधिकारी होता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का कार्य संविधान के अनुसार होता है और वह राज्य सरकार और केंद्र के बीच मतभेदों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
राज्यपाल की राजनीतिक भूमिका
उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपालों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे राज्य सरकार की नीतियों को लागू करें या जनादेश के अनुसार कार्य करें। संविधान में राज्यपाल की भूमिका स्पष्ट रूप से परिभाषित की गई है और वह राजनीतिक दृष्टिकोण भी रख सकते हैं।