सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया कंटेंट पर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए
सुप्रीम कोर्ट का सख्त कदम
सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया सामग्री पर सख्त कदम उठाया है: सोमवार को एक याचिका की सुनवाई के दौरान, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए हैं।
सरकार को गाइडलाइन बनाने का आदेश
अदालत ने सरकार से कहा है कि वह पॉडकास्ट और अन्य ऑनलाइन शो सहित सोशल मीडिया पर प्रदर्शित सामग्री के लिए समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (NBSA) के परामर्श से दिशानिर्देश तैयार करे। इस मामले में अधिवक्ता निशा भंभानी का प्रतिनिधित्व है।
गाइडलाइन में सभी के सुझावों का ध्यान रखा जाए
अदालत ने यह आदेश इसलिए दिया है ताकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विभिन्न समुदायों के अधिकारों के बीच संतुलन बना रहे। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गाइडलाइन NBSA की राय के आधार पर तैयार की जानी चाहिए और इसमें सभी स्टेकहोल्डर्स के सुझावों को शामिल किया जाना चाहिए।
गाइडलाइन का रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश
अदालत ने केंद्र सरकार को सोशल मीडिया पर प्रदर्शित सामग्री को नियंत्रित करने के लिए अपनी प्रस्तावित गाइडलाइन का रिकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया है। यह गाइडलाइन नवंबर 2025 में कोर्ट में प्रस्तुत की जानी है। यह सुनवाई समय रैना, रनवीर अलहाबादिया और अन्य सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के खिलाफ दायर याचिका पर हो रही थी। इन पर आरोप है कि इन्होंने दिव्यांग व्यक्तियों के बारे में असंवेदनशील बातें की हैं।
इन्फ्लुएंसर्स का व्यवसायीकरण
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स अभिव्यक्ति की आजादी का व्यवसायीकरण कर रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि इनकी टिप्पणियों से समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचने की संभावना रहती है, इसलिए संतुलन बनाना आवश्यक है। केंद्र सरकार को एनबीएसए के परामर्श पर गाइडलाइन तैयार करनी चाहिए।