सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया सामग्री के नियंत्रण के लिए केंद्र को दिशानिर्देश तैयार करने का दिया आदेश
सोशल मीडिया पर सामग्री नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह सोशल मीडिया पर प्रसारित सामग्री को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश तैयार करे। ये दिशानिर्देश समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (NBSA) और डिजिटल एसोसिएशन के परामर्श से बनाए जाने चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर में होगी।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यवसायीकरण
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यवसायीकरण किया जा रहा है, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों—जैसे दिव्यांग, महिलाएं, बच्चे, वरिष्ठ नागरिक और अल्पसंख्यक—की भावनाएं आहत हो सकती हैं।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि पॉडकास्ट जैसे ऑनलाइन कार्यक्रमों सहित सोशल मीडिया पर आचरण को विनियमित करने के लिए ठोस दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जीने के अधिकार के बीच संतुलन स्थापित करना है।
समय रैना मामले में सुनवाई
यह टिप्पणी उस समय की गई जब कोर्ट हास्य कलाकार समय रैना और अन्य के खिलाफ दिव्यांग व्यक्तियों पर असंवेदनशील चुटकुले बनाने के मामले की सुनवाई कर रहा था। जस्टिस बागची ने कहा कि हास्य जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन हल्केपन के नाम पर संवेदनशीलता को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए। वहीं, जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि असंवेदनशील चुटकुले बनाकर दिव्यांगों को मुख्यधारा में लाने का संवैधानिक उद्देश्य ध्वस्त किया जा रहा है।
पीठ ने कहा कि जब तक उल्लंघन पर निश्चित और ठोस परिणाम तय नहीं किए जाते, लोग जिम्मेदारी से बचते रहेंगे। परिणाम औपचारिकता भर नहीं होने चाहिए, बल्कि नुकसान के अनुपात में होने चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसका उद्देश्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना नहीं, बल्कि आहत करने वाले भाषण और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के बीच एक स्पष्ट रेखा खींचना है।
यूजर्स को संवेदनशील बनाना मुख्य उद्देश्य
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने केंद्र की ओर से पेश होकर कहा कि प्रस्तावित दिशानिर्देशों का मुख्य उद्देश्य सोशल मीडिया यूजर्स को संवेदनशील बनाना होगा। हालांकि, यदि कोई उल्लंघन करता है तो उसे अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी।