सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा के महाभियोग पर सुनवाई: क्या होगी अगली कार्रवाई?
महाभियोग मामले की सुनवाई
राष्ट्रीय समाचार: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सुनवाई हुई। यह मामला उस जांच रिपोर्ट पर आधारित है जिसमें वर्मा को कैश कांड में दोषी ठहराया गया था। इस रिपोर्ट के आधार पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सिफारिश भेजी थी। वर्मा के वकील कपिल सिब्बल ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि आंतरिक जांच के आधार पर महाभियोग का प्रावधान नहीं है।
कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि तीन जजों की समिति का गठन उचित नहीं था। उन्होंने तर्क दिया कि इस जांच का कानूनी आधार स्पष्ट नहीं है। सिब्बल ने यह भी कहा कि यह समिति असंवैधानिक है और इससे गलत मिसाल कायम होगी। उनका मानना था कि बिना ठोस प्रक्रिया के महाभियोग की सिफारिश नहीं होनी चाहिए। इस पर बेंच ने तीखे सवाल पूछे।
बेंच का कड़ा जवाब
बेंच ने दिया कड़ा जवाब
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि इन-हाउस जांच की व्यवस्था 1999 में बनाई गई थी। इसी आधार पर कार्रवाई की जाती है। बेंच ने यह भी कहा कि मुख्य न्यायाधीश केवल एक डाकघर नहीं हैं, बल्कि उनकी भी देश के प्रति जिम्मेदारी है। यदि उन्हें कोई गड़बड़ी दिखाई देती है, तो वह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सूचित कर सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश की जिम्मेदारी पर जोर
मुख्य न्यायाधीश की जिम्मेदारी पर जोर
कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि अदालत ने पहले ही अपना मन बना लिया है, तो बहस का क्या अर्थ है। इस पर बेंच ने कहा कि हम आपकी दलीलें सुनेंगे और उसके बाद निर्णय देंगे। कोर्ट ने कहा कि आप केवल यह बताएं कि क्या समिति असंवैधानिक थी या नहीं। रिपोर्ट की सामग्री पर चर्चा न करें।
फैसला सुरक्षित रखा गया
फैसला रखा सुरक्षित
सुनवाई के बाद अदालत ने फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। बेंच ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार की शक्तियों पर अभी विचार नहीं किया जाएगा। फिलहाल मुद्दा केवल जांच समिति की वैधता का है। कोर्ट जल्द ही इस पर निर्णय सुनाएगा। इस बीच कानूनी हलकों में इस मामले पर बहस जारी है।
फैसले पर टिकी निगाहें
फैसले पर टिकी निगाहें, न्यायपालिका में मचेगा भूचाल!
इस मामले का प्रभाव न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर गहरा पड़ सकता है। यदि समिति को असंवैधानिक ठहराया गया, तो महाभियोग प्रक्रिया पर बड़ा असर पड़ेगा। वहीं, यदि इसे वैध माना गया, तो वर्मा के खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ेगी। सभी की नजरें अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।