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सुप्रीम कोर्ट में जूता कांड पर CJI BR गवई की पहली प्रतिक्रिया: 'अब यह बीता हुआ समय है'

सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में हुई जूता फेंकने की घटना पर CJI BR गवई ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे अतीत की बात बताते हुए कहा कि यह अब एक इतिहास का पन्ना है। इस घटना ने न केवल कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि वकील राकेश किशोर की सदस्यता भी समाप्त कर दी गई है। जानें इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ताओं और जजों की क्या राय है और बार काउंसिल ने क्या कदम उठाए हैं।
 

CJI BR गवई की प्रतिक्रिया

CJI BR गवई: सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की घटना के तीन दिन बाद, चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इस पर अपनी पहली टिप्पणी की। गुरुवार को एक सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा, "मैं और मेरे साथी उस दिन की घटना से चकित रह गए थे, लेकिन अब यह हमारे लिए अतीत की बात है, एक इतिहास का पन्ना।"


घटना का विवरण

इस घटना ने पूरे देश में चर्चा का विषय बना दिया और सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा पर सवाल उठाए। 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर द्वारा जूता फेंकने का प्रयास किया गया, जिसके बाद कोर्ट और बार काउंसिल ने कड़ी कार्रवाई की।


क्या हुआ था?

सोमवार को, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के कोर्ट रूम में, एक 71 वर्षीय वकील ने जूता फेंकने का प्रयास किया। पुलिस के अनुसार, यह वकील पिछले महीने खजुराहो में विष्णु प्रतिमा की पुनर्स्थापना से संबंधित सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी से नाराज था।


इस घटना ने देशभर में तीखी आलोचना और चिंता का माहौल पैदा किया। वकील ने इस दौरान 'सनातन का अपमान नहीं सहेंगे' का नारा भी लगाया।


वरिष्ठ अधिवक्ताओं और जजों की प्रतिक्रियाएँ

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण ने कहा, "मिलॉर्ड! मैंने इस विषय पर एक लेख भी लिखा था। ऐसी ही एक घटना 10 साल पहले अदालत में हुई थी। उस समय अवमानना की शक्तियों और उनके कार्यान्वयन पर दो जजों ने अपनी राय दी थी।"


जस्टिस उज्जल भुइयां ने कहा, "वे देश के चीफ जस्टिस हैं। यह कोई मजाक नहीं है। इससे हमारे निर्णयों पर विश्वास कम नहीं होता।"


सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "यह एक गंभीर अपराध था। लेकिन कोर्ट और पीठ ने जो संयम और उदारता दिखाई, वह सराहनीय है।"


CJI बीआर गवई ने कहा, "अब यह अध्याय हमारे लिए भुला हुआ इतिहास है। हम आगे बढ़ चुके हैं।"


बार एसोसिएशन और बार काउंसिल की कार्रवाई

इस घटना के तुरंत बाद, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने आरोपी वकील राकेश किशोर की सदस्यता समाप्त कर दी। एसोसिएशन ने उन्हें गंभीर कदाचार का दोषी पाया। वहीं, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने किशोर का बार लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।