सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की कोशिश: राकेश किशोर का विवादास्पद बयान
राकेश किशोर का बयान
राकेश किशोर का बयान: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास करने वाले वरिष्ठ वकील राकेश किशोर ने इस विवाद पर खुलकर अपनी बात रखी है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उन्हें अपने कार्य पर कोई पछतावा नहीं है और वह भयभीत नहीं हैं। यह घटना सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान हुई, जिसने पूरे देश में हलचल मचा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी तक ने इस घटना की निंदा की है। इसके साथ ही, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने राकेश किशोर का वकालत लाइसेंस तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
कोर्ट में क्या हुआ?
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका की सुनवाई के दौरान राकेश किशोर ने अचानक हंगामा खड़ा कर दिया। उन पर आरोप है कि उन्होंने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया और नारेबाजी भी की। सौभाग्य से, सुरक्षाकर्मियों ने समय पर स्थिति को संभाल लिया और कोई नुकसान नहीं हुआ.
राकेश किशोर का स्पष्टीकरण
मंगलवार को मीडिया से बातचीत करते हुए राकेश किशोर ने कहा कि वह डरे हुए नहीं हैं और जो कुछ हुआ, उसके लिए उन्हें कोई पछतावा नहीं है। यह उनकी प्रतिक्रिया थी। उन्होंने यह भी कहा कि न तो वह घायल थे और न ही नशे में थे। किशोर ने आरोप लगाया कि 16 सितंबर को उन्होंने एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें सुनवाई के दौरान CJI गवई ने उनका मजाक उड़ाया था.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि 'जाओ मूर्ति से प्रार्थना करो और कहो कि वह अपना सिर वापस लगा ले।' किशोर ने सुप्रीम कोर्ट पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि जब किसी विशेष समुदाय के खिलाफ मामला आता है, तो मुख्य न्यायाधीश बड़े कदम उठाते हैं.
देशभर में प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने CJI गवई से फोन पर बात की और इसे हर भारतीय के लिए अपमानजनक बताया। सोनिया गांधी ने इसे संविधान पर हमला करार दिया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और अन्य कानूनी संस्थाओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है.
BCI की कार्रवाई
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने राकेश किशोर का वकालत लाइसेंस तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया है। परिषद ने इसे विधिक समुदाय पर एक धब्बा बताया है। इस घटना ने न केवल न्यायपालिका की गरिमा को चुनौती दी है, बल्कि यह भी सवाल उठाया है कि असहमति की अभिव्यक्ति के लिए क्या सीमाएं होनी चाहिए। जबकि राकेश किशोर अपने कदम पर अडिग हैं, पूरा देश इस व्यवहार की निंदा कर रहा है.