सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-हसन पर सुनवाई: जानें क्या है यह प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-हसन की सुनवाई
Talaq-e-Hasan Supreme Court: तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत को पहले ही अवैध घोषित किया जा चुका है। फिर भी, मुस्लिम समुदाय में तलाक के कुछ तरीके अब भी प्रचलित हैं, जिनमें से एक तलाक-ए-हसन है। सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर सुनवाई के लिए 19-20 नवंबर की तारीख तय की है। कोर्ट ने तलाक-ए-हसन और अन्य एकतरफा तलाक को असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई का समय निर्धारित किया है। आइए जानते हैं तलाक-ए-हसन क्या है?
तलाक-ए-हसन की प्रक्रिया
क्या है तलाक-ए-हसन?
तलाक-ए-हसन, मुस्लिमों में प्रचलित तीन तलाक का एक रूप है। इसमें एक पुरुष तीन महीने तक हर महीने एक बार तलाक शब्द बोलकर विवाह को समाप्त कर सकता है। हालांकि, नोएडा के मुस्लिम विद्वान मुफ्ती मुबारक का कहना है कि तीन तलाक का यह तरीका इस्लाम या कुरान में भी मान्य नहीं है। धर्म के अनुसार, केवल दो बार तलाक कहना ही सही है।
तलाक के बाद पुनर्विवाह की आवश्यकता
दो बार तलाक के बाद दोबारा करनी होगी शादी
मुफ्ती मुबारक के अनुसार, तलाक-ए-हसन में पहले महीने में एक बार तलाक बोला जाता है। इसके बाद, पुरुष और महिला को एक साथ रहने का समय मिलता है। इस दौरान, वे बिना निकाह के तीन महीने के भीतर फिर से संबंध शुरू कर सकते हैं। दूसरे महीने में दूसरी बार तलाक बोलने पर दूसरा तलाक हो जाता है। यदि इसके बाद दोनों साथ रहना चाहें, तो उन्हें फिर से निकाह करना होगा।
हलाला का नियम
तीन महीने बाद हलाला भी होगा लागू
कई बार तीसरे महीने में भी तलाक बोला जाता है। मुफ्ती मुबारक के अनुसार, यह सही नहीं है। यदि दोनों फिर से साथ रहना चाहें, तो तीन महीने के बाद निकाह करना आवश्यक होगा। इस स्थिति में हलाला नियम भी लागू होगा, जिसमें महिला को अपने पति के साथ दोबारा निकाह करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति से शादी करनी होती है। इसके बाद, वह तलाक देकर पहले पति के साथ पुनर्विवाह कर सकती है।
प्रेग्नेंसी में इद्दत की प्रक्रिया
प्रेग्नेंसी में पूरी नहीं होगी इद्दत की प्रक्रिया
तलाक-ए-हसन में यदि महिला गर्भवती है, तो तलाक के बाद की प्रक्रिया 'इद्दत' पूरी नहीं होती। यह प्रक्रिया बच्चे के जन्म के बाद ही लागू होती है। इद्दत वह समय होता है जब मुस्लिम महिला अपने पति की मृत्यु या तलाक के बाद किसी अन्य पुरुष से शादी नहीं कर सकती।
याचिका दाखिल करने वाली बेनजीर हिना
बेनजीर हिना ने दाखिल की है याचिका
मुस्लिम समुदाय में तलाक-ए-हसन के साथ-साथ तलाक-ए-अहसन, तलाक-ए-किनाया और तलाक-ए-बाईन भी प्रचलित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और बाल अधिकार आयोग से इस पर राय मांगी है। एक याचिका तलाक पीड़िता बेनजीर हिना ने दाखिल की है। कोर्ट ने आयोगों से विवाहेतर संबंधों से उत्पन्न बच्चों पर इस तरह के तलाक के प्रभाव की जांच करने के लिए भी राय मांगी है।
भारत में तीन तलाक का कानून
तीन तलाक पर क्या है कानून?
भारत में तलाक-ए-बिद्दत (एक बार में तीन तलाक बोलना) अवैध है। इसमें मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से तत्काल तीन तलाक नहीं कहा जा सकता। इस तरीके को अपनाने पर तीन साल तक की जेल हो सकती है। इसके साथ ही, महिला को आश्रित बच्चों के लिए भरण-पोषण भी दिया जाता है।