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सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश पर हमले की कोशिश, कांग्रेस ने की निंदा

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर हमले का प्रयास किया, जिसे सुरक्षाकर्मियों ने विफल कर दिया। कांग्रेस ने इस घटना को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक गंभीर गिरावट बताया और इसे न्याय और कानून के शासन पर हमला करार दिया। पार्टी ने कहा कि यह केवल एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा पर हमला है। कांग्रेस ने मोदी सरकार की नीतियों की भी आलोचना की, जो स्वतंत्र संस्थाओं पर हमलों को सामान्य बनाती हैं।
 

सुप्रीम कोर्ट में हुई घटना

लखनऊ। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर हमले का प्रयास किया। वह मंच के निकट पहुंचा और अपना जूता फेंकने की कोशिश की, लेकिन वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और उसे बाहर निकाल दिया। बाहर जाते समय वकील ने कहा कि हम सनातन का अपमान नहीं सहेंगे। इस दौरान जस्टिस गवई पूरी तरह से शांत बने रहे।


कांग्रेस की प्रतिक्रिया

न्याय और कानून पर हमला

कांग्रेस पार्टी ने इस घटना को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर साझा करते हुए कहा कि यह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक गंभीर और खतरनाक गिरावट का प्रतीक है। पार्टी ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश पर हमला न केवल शर्मनाक है, बल्कि यह न्याय और कानून के शासन पर एक खुला हमला है।


दंडहीनता और घृणा की संस्कृति

संस्थाओं पर हमला

कांग्रेस ने कहा कि यह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं है, बल्कि यह संस्थाओं को कमजोर करने और न्यायपालिका में जनता के विश्वास को कम करने का एक निरंतर प्रयास है। जब भारत के मुख्य न्यायाधीश, जो योग्यता और ईमानदारी के बल पर इस पद पर पहुंचे हैं, ऐसे हमले का शिकार होते हैं, तो यह सत्ता में बैठे लोगों द्वारा प्रोत्साहित की गई दंडहीनता और घृणा की संस्कृति को दर्शाता है।


मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल

स्वतंत्र संस्थाओं पर हमले

कांग्रेस ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने स्वतंत्र संस्थाओं पर हमलों को सामान्य बना दिया है और असहमति को बदनाम किया है। यह घटना उस पतन का सबसे भयावह परिणाम है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस घृणित कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा करती है और न्यायपालिका की सुरक्षा, गरिमा और स्वतंत्रता को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने की आवश्यकता पर जोर देती है।