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सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति के संदर्भ पर सुनवाई में नेपाल की स्थिति का उल्लेख

सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति के संदर्भ पर चल रही सुनवाई के दौरान नेपाल की स्थिति का उल्लेख किया गया। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने पड़ोसी देशों में हो रही घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने विधेयकों की मंजूरी की प्रक्रिया पर आंकड़े प्रस्तुत किए, जिस पर न्यायाधीशों ने महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ कीं। जानें इस सुनवाई के प्रमुख बिंदुओं के बारे में।
 

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का संदर्भ

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए संदर्भ पर चल रही सुनवाई के दौरान नेपाल की स्थिति का उल्लेख किया गया। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को राष्ट्रपति और राज्यपाल की मंजूरी के लिए निर्धारित समय सीमा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नेपाल के विद्रोह का जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'हमें अपने संविधान पर गर्व होना चाहिए, देखिए हमारे पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है। नेपाल में जो घटनाएँ हो रही हैं, उन्हें देखिए।' इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, 'बांग्लादेश की स्थिति भी ऐसी ही है।'


दोनों न्यायाधीशों ने यह टिप्पणी सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर की। इससे पहले, सॉलिसीटर जनरल ने कहा था, '1970 से अब तक केवल 20 विधेयक ही राष्ट्रपति के पास लंबित रहे हैं, जबकि 90 प्रतिशत विधेयक एक महीने के भीतर पास हो जाते हैं।' इस पर चीफ जस्टिस ने आपत्ति जताते हुए कहा कि केवल आंकड़ों के आधार पर निष्कर्ष निकालना उचित नहीं है। यदि राज्यों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों को नहीं माना गया, तो आपके आंकड़ों को भी नहीं माना जाएगा। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल की मंजूरी की समय सीमा से संबंधित मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर शामिल हैं।