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सुप्रीम कोर्ट में सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर सुनवाई: क्या है मामला?

सोनम वांगचुक, एक प्रमुख पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता, को लद्दाख में हिंसक प्रदर्शनों को भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उनकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उनकी रिहाई की मांग की गई है। यह मामला केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से भी जुड़ा है। 6 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई में यह देखा जाएगा कि क्या सरकार ने कानून का दुरुपयोग किया है या स्थिति वास्तव में गंभीर थी।
 

सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी का मामला

सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी की नई जानकारी: लद्दाख में कथित तौर पर हिंसक प्रदर्शनों को भड़काने के आरोप में गिरफ्तार पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के मामले में अब सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप होने जा रहा है। उनकी पत्नी गीतांजलि आंगमो ने 6 अक्टूबर को अदालत में याचिका दायर की है। यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत है, जिसमें हैबियस कॉर्पस के तहत राहत की मांग की गई है।


पत्नी ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया
गीतांजलि आंगमो का कहना है कि उनके पति की गिरफ्तारी अवैध और मनमानी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि सोनम वांगचुक को तुरंत रिहा किया जाए, क्योंकि उन पर लगाए गए आरोप न केवल निराधार हैं, बल्कि यह उनकी देशभक्ति और सामाजिक कार्यों को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा हैं।

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि वांगचुक पर पाकिस्तान से संबंध रखने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। यह आरोप उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने और उन्हें गलत तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास माना जा रहा है।


लद्दाख में हुई हिंसा के बाद गिरफ्तारी
हाल ही में लद्दाख में हुए प्रदर्शनों के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी, जहां स्थानीय नागरिकों की मांगों को लेकर आंदोलन चल रहा था। प्रशासन ने इन प्रदर्शनों को हिंसक बताते हुए आरोप लगाया कि सोनम वांगचुक ने प्रदर्शनकारियों को भड़काने में भूमिका निभाई थी। इसी आधार पर उन्हें 24 सितंबर को गिरफ्तार किया गया और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत जोधपुर जेल में रखा गया।

NSA के तहत गिरफ्तारी का मतलब है कि व्यक्ति को बिना मुकदमे के लंबे समय तक हिरासत में रखा जा सकता है, जिससे मानवाधिकार और संविधानिक अधिकारों पर सवाल उठने लगे हैं।


राष्ट्रपति को भी लिखा पत्र
गीतांजलि आंगमो ने केवल न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटाया, बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी तीन पृष्ठों का पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने प्रत्यक्ष हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि वांगचुक को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे पिछले चार वर्षों से लद्दाख के लोगों के अधिकारों, जलवायु संरक्षण, शिक्षा और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर मुखर रहे हैं।


सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की उम्मीदें
अब जब सुप्रीम कोर्ट 6 अक्टूबर को इस मामले पर सुनवाई करेगा, तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सर्वोच्च न्यायालय का क्या रुख होता है। यह मामला केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक विरोध के अधिकार जैसे मौलिक अधिकारों से भी जुड़ा हुआ है।

इस सुनवाई के माध्यम से यह स्पष्ट हो सकता है कि क्या सरकार ने एक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ कानून का दुरुपयोग किया है, या फिर वास्तव में स्थिति इतनी गंभीर थी कि NSA जैसे कानून की आवश्यकता थी।


राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा?
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और उनकी रिहाई की मांग पर देशभर में बहस तेज हो गई है। प्रशासन का तर्क है कि उनकी गतिविधियाँ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा थीं, जबकि उनके समर्थक और पत्नी इसे लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला मानते हैं। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जो इस संवेदनशील मामले में सच्चाई और न्याय का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।