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सुशीला कार्की बनीं नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री, शपथ ग्रहण समारोह संपन्न

नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने हाल ही में अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति रामचंद्र पोडेल ने उन्हें यह पद ग्रहण कराया। इस समारोह में केवल कार्की ने ही शपथ ली, जबकि मंत्रिमंडल में जेन जी आंदोलन से जुड़े किसी सदस्य को शामिल नहीं किया गया। सुशीला कार्की का जन्म 1952 में हुआ और उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। जानें उनके जीवन और करियर के बारे में विस्तार से।
 

नेपाल की नई अंतरिम प्रधानमंत्री का शपथ ग्रहण

नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। राष्ट्रपति रामचंद्र पोडेल ने उन्हें यह पद ग्रहण कराया। यह समारोह रात लगभग 9:30 बजे राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में आयोजित किया गया, जिसमें केवल सुशीला कार्की ने ही शपथ ली। इस नए मंत्रिमंडल में जेन जी आंदोलन से जुड़े किसी सदस्य को शामिल नहीं किया गया है।



सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को मोरंग के शंखरपुर में एक किसान परिवार में हुआ। वह माता-पिता की सात संतान में सबसे बड़ी हैं। विराटनगर में रहते हुए, उन्होंने बी.पी. कोइराला के परिवार और प्रजातांत्रिक आंदोलन से भी संबंध स्थापित किया।


न्याय परिषद के अभिलेखों के अनुसार, उन्होंने 1971-72 में विराटनगर के महेंद्र मोरंग कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, 1974-75 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की। इसी दौरान उनकी मुलाकात कांग्रेस नेता दुर्गा सुवेदी से हुई, जिनसे उन्होंने विवाह किया।


त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई


कार्की ने 1977-78 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की और 1979-80 से विराटनगर में अधिवक्ता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद, 1985-86 से चार वर्षों तक उन्होंने धरान के महेंद्र बहुमुखी क्याम्पस में अध्यापन किया। विराटनगर बार एसोसिएशन में सक्रिय रहते हुए, उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और जनवरी 2005 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनीं।


उनकी ईमानदारी और निडरता के कारण, तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रामप्रसाद श्रेष्ठ ने उन्हें सर्वोच्च अदालत में नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा। 22 जनवरी 2009 को वह अस्थायी न्यायाधीश बनीं और दो वर्ष बाद स्थायी न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। 13 अप्रैल 2016 को वह कार्यवाहक प्रधान न्यायाधीश बनीं और तीन महीने बाद संसदीय सुनवाई के बाद नेपाल की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुईं।