सूर्य और चंद्र ग्रहण: खगोलीय घटनाओं का अद्भुत अनुभव
सूर्य और चंद्र ग्रहण की विशेषताएँ
सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों ही अद्भुत खगोलीय घटनाएँ हैं, लेकिन इनके प्रभाव और स्वरूप में भिन्नता होती है। सूर्य ग्रहण तब होता है जब चाँद पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य की रोशनी अवरुद्ध हो जाती है। इस दौरान दिन में अचानक अंधेरा छा जाता है, जो शाम के समय जैसा अनुभव कराता है। इसे बिना सुरक्षा चश्मे के देखना खतरनाक हो सकता है, इसलिए विशेष चश्मे का उपयोग आवश्यक है।चंद्र ग्रहण, इसके विपरीत, रात में होता है। इसमें पृथ्वी सूर्य और चाँद के बीच आ जाती है, जिससे पृथ्वी की छाया चाँद पर पड़ती है। इस दौरान रात का आकाश सामान्य रहता है, लेकिन चाँद का रंग बदलता है। कभी-कभी यह काला दिखाई देता है, जबकि कभी यह लालिमा लिए चमकता है, जिसे 'Blood Moon' कहा जाता है। इस समय आसमान और तारे अधिक चमकदार नजर आते हैं। चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखना सुरक्षित होता है, क्योंकि इसमें कोई हानिकारक किरणें नहीं होतीं।
भारत में 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई को हुआ था, जबकि दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को रात 9:58 बजे शुरू होकर सुबह 1:26 बजे तक रहेगा। आमतौर पर हर वर्ष 1 से 3 चंद्र ग्रहण होते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, चंद्र ग्रहण केवल सूर्य, पृथ्वी और चाँद की स्थिति का परिणाम है और इसका मानव स्वास्थ्य या दैनिक जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
चंद्र ग्रहण देखने के कई तरीके हैं। सबसे सरल तरीका है नंगी आंखों से आकाश में देखना। अधिक रोमांचक अनुभव के लिए बाइनोक्युलर या टेलीस्कोप का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, कैमरा या मोबाइल से तस्वीरें और वीडियो भी बनाए जा सकते हैं। यदि मौसम खराब हो, तो नासा और इसरो जैसी एजेंसियों की ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से भी इसे देखा जा सकता है।