सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी: लद्दाख में राजनीतिक तनाव बढ़ा
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी का मामला
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी का मामला: लद्दाख की ठंडी वादियों में राजनीतिक हलचल तब और बढ़ गई जब पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को अचानक हिरासत में लेकर जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया। लंबे समय से लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे वांगचुक को प्रशासन ने 'शांति भंग करने वाला' बताते हुए यह कदम उठाया। यह कार्रवाई उस समय हुई जब लेह में प्रदर्शन हिंसक हो गए और चार लोगों की जान चली गई।
भूख हड़ताल और प्रशासन का दावा
सोनम वांगचुक कई दिनों से भूख हड़ताल पर थे। उनका कहना था कि लद्दाख की पहचान और आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए छठी अनुसूची आवश्यक है। प्रशासन का दावा है कि सरकार बातचीत के लिए तैयार थी, लेकिन वांगचुक ने हड़ताल समाप्त नहीं की। इसके अलावा, प्रशासन ने आरोप लगाया कि भूख हड़ताल के पीछे 'गुप्त राजनीतिक उद्देश्य' छिपा था।
भड़काऊ भाषण और हिंसा
लद्दाख प्रशासन ने स्पष्ट किया कि वांगचुक के भाषण और वीडियो भड़काऊ थे। उनके बयानों में नेपाल के आंदोलनों और अरब स्प्रिंग का उल्लेख किया गया, जिससे 24 सितंबर को लेह में स्थिति बिगड़ गई। उस दिन कई संस्थानों और वाहनों को आग लगा दी गई और पुलिस पर भी हमला हुआ, जिसके परिणामस्वरूप चार लोगों की मौत हो गई।
शांति और सुरक्षा का मुद्दा
प्रशासन ने कहा कि शांति बहाल करने और लेह जैसे 'शांतिप्रिय शहर' की सुरक्षा के लिए यह कार्रवाई आवश्यक थी। प्रेस नोट में कहा गया, 'श्री सोनम वांगचुक की गतिविधियां लोक व्यवस्था बनाए रखने के लिए हानिकारक साबित हो रही थीं।' प्रशासन का कहना है कि स्थिति को सामान्य करने के लिए कड़ा कदम उठाना पड़ा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला किया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे भाजपा की 'कानून-व्यवस्था संभालने में विफलता' करार दिया। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कैंडल मार्च निकाला और तृणमूल कांग्रेस ने भी गिरफ्तारी को अलोकतांत्रिक बताया। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए वांगचुक को निशाना बना रही है।