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सोनम वांगचुक के एनजीओ पर CBI की जांच: क्या है FCRA और इसके प्रभाव?

सोनम वांगचुक, लद्दाख के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, के एनजीओ पर CBI द्वारा जांच शुरू की गई है। उनके एनजीओ का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया गया है, जिसके पीछे कई अनियमितताएं बताई गई हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि FCRA क्या है, वांगचुक का संगठन क्या करता है, और लाइसेंस पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या है। इसके अलावा, यह मामला अन्य एनजीओ पर भी प्रभाव डाल रहा है, जिससे कई सामाजिक कार्यकर्ता नियमों में नरमी की मांग कर रहे हैं।
 

सोनम वांगचुक की एनजीओ पर कार्रवाई

सोनम वांगचुक: लद्दाख के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के एनजीओ और विदेशी फंडिंग से संबंधित मामलों की जांच शुरू हो गई है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) इस मामले की जांच कर रहा है और उनके एनजीओ का FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। वांगचुक ने इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम बताया है और आरोपों को नकारा है। आइए जानते हैं कि सोनम वांगचुक का संगठन क्या करता है, FCRA क्या है और भारत में विदेशी फंडिंग पर नियम कैसे लागू होते हैं।


सोनम वांगचुक का योगदान

सोनम वांगचुक ने 1994 में स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य लद्दाख के युवाओं को उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ते हुए व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करना है। यह संस्था छात्रों को कागजी डिग्री के साथ-साथ वास्तविक जीवन के कौशल भी सिखाती है। इसके बाद, 2017-18 के दौरान, उन्होंने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) की स्थापना की, जो पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर स्थानीय समाधानों पर काम करता है।


FCRA का महत्व

भारत में कई एनजीओ विदेशी फंडिंग पर निर्भर करते हैं, लेकिन विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए उन्हें Foreign Contribution Regulation Act (FCRA) के तहत सरकार से पंजीकरण कराना आवश्यक है। यह कानून 1976 में लागू हुआ और 2010 में संशोधित किया गया। इसका उद्देश्य विदेशी फंडिंग का नियंत्रण और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है, ताकि धन का दुरुपयोग न हो।


लाइसेंस रद्द होने के कारण

रिपोर्टों के अनुसार, SECMOL और HIAL के पंजीकरण में कई अनियमितताएं पाई गईं, जैसे कि आवश्यक दस्तावेज समय पर प्रस्तुत न करना, फंड के उपयोग और घोषित उद्देश्यों में अंतर, और विदेशी धन के पारदर्शी उपयोग में कमी। इन शिकायतों के बाद गृह मंत्रालय ने FCRA लाइसेंस नवीनीकरण रद्द कर दिया, जिससे ये संगठन सीधे विदेशी चंदा प्राप्त नहीं कर सकते।


लाइसेंस पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया

FCRA लाइसेंस पुनः प्राप्त करने के लिए संगठन को उन कमियों को दूर करना होगा जिनके कारण लाइसेंस रद्द हुआ। इसके लिए गृह मंत्रालय को पुनर्विचार के लिए आवेदन करना होता है। यदि फंडिंग के उपयोग में कोई अनियमितता या अपराध न पाया जाए तो सुधारात्मक कदम उठाकर पंजीकरण संभव है। इसके साथ ही, यदि कार्रवाई अनुचित लगे तो अदालत की शरण भी ली जा सकती है।


CBI जांच का कारण

विदेशी चंदे के गलत उपयोग की शिकायतें सरकार तक पहुंचने के बाद CBI ने मामले की जांच शुरू की है। आरोप है कि कुछ फंड का उपयोग गैर-घोषित उद्देश्यों के लिए किया गया। फिलहाल यह जांच प्रारंभिक चरण में है और कोई आधिकारिक मामला दर्ज नहीं किया गया है।


अन्य एनजीओ पर प्रभाव

यह मामला केवल सोनम वांगचुक का नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में देशभर में हजारों एनजीओ का FCRA लाइसेंस रद्द किया जा चुका है। सरकार का मानना है कि विदेशी फंडिंग का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। हालांकि, कई सामाजिक कार्यकर्ता इसे कामकाज में बाधा बताते हुए नियमों में नरमी की मांग कर रहे हैं.