×

सोनम वांगचुक: लद्दाख में जलवायु परिवर्तन के लिए राजनीतिक संघर्ष

सोनम वांगचुक, जो लद्दाख में जलवायु परिवर्तन और शिक्षा सुधारों के लिए जाने जाते हैं, अब एक राजनीतिक आंदोलन में शामिल हो गए हैं। उनकी हालिया गिरफ्तारी ने न केवल लद्दाख बल्कि पूरे देश का ध्यान खींचा है। वांगचुक का कहना है कि लद्दाख के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए छठी अनुसूची का संरक्षण आवश्यक है। जानें उनके संघर्ष और आंदोलन के बारे में अधिक जानकारी।
 

सोनम वांगचुक का नया राजनीतिक मोर्चा

सोनम वांगचुक: लद्दाख की बर्फीली वादियों में जलवायु परिवर्तन और शिक्षा सुधारों के लिए जाने जाने वाले सोनम वांगचुक अब एक नए राजनीतिक आंदोलन में शामिल हो गए हैं। उनकी गिरफ्तारी ने न केवल लद्दाख बल्कि पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है। पहले आइस स्तूप जैसी नवाचार योजनाओं के लिए प्रसिद्ध वांगचुक अब राज्य के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं और सरकार के निशाने पर हैं।


शिक्षा में संघर्ष और सुधार

59 वर्षीय सोनम वांगचुक का जन्म लेह के निकट उलेटोक्पो गांव में हुआ। स्कूल की कमी के कारण उन्होंने नौ साल की उम्र तक घर पर ही पढ़ाई की। बाद में उन्होंने श्रीनगर और दिल्ली में शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्हें भाषाई चुनौतियों और भेदभाव का सामना करना पड़ा। इन कठिनाइयों ने उन्हें शिक्षा सुधार के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। 1988 में, उन्होंने SECMOL (छात्रों की शैक्षिक और सांस्कृतिक आंदोलन) की स्थापना की, जिसने शिक्षा और टिकाऊ विकास में नई दिशा दी।


आइस स्तूप की सफलता

आइस स्तूप और वैश्विक पहचान: वांगचुक को आइस स्तूप प्रोजेक्ट के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। यह कृत्रिम ग्लेशियर लद्दाख के किसानों के लिए पानी की समस्या का समाधान बना। 2016 में SECMOL को इंटरनेशनल टेरा अवॉर्ड भी मिला, जिससे वांगचुक को 'क्लाइमेट हीरो' के रूप में मान्यता मिली और वे जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक मंचों पर एक प्रमुख चेहरा बन गए।


संविधानिक अधिकारों की मांग

संवैधानिक अधिकारों की मांग: 2019 में अनुच्छेद 370 के हटने और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद से, वांगचुक लगातार संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि लद्दाख के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और स्थानीय संस्कृति को बाहरी दबावों से बचाने के लिए छठी अनुसूची के तहत संरक्षण आवश्यक है। पिछले वर्ष से, उन्होंने कई बार भूख हड़ताल और मार्च किए हैं। हाल ही में, उन्होंने 35 दिनों तक अनशन किया, जो हिंसा भड़कने के बाद समाप्त हुआ।


गिरफ्तारी और भविष्य की दिशा

गिरफ्तारी और आगे का रास्ता: हाल ही में हुई हिंसा में चार लोगों की मौत और कई घायल होने के बाद, प्रशासन ने वांगचुक को गिरफ्तार कर NSA के तहत जोधपुर भेज दिया। गृह मंत्रालय ने उन्हें आंदोलन को हिंसा की ओर ले जाने का जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि, उनके समर्थक इसे लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई मानते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वांगचुक की गिरफ्तारी आंदोलन को रोक पाएगी, या यह लद्दाख की जनता की मांगों को और तेज करेगी।