सोनिया गांधी ने प्रदूषण पर चिंता जताई, मोदी सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल
दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई है। जहरीले स्मॉग ने महानगरों को ढक लिया है, जो लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार की सभी कोशिशें असफल साबित हो रही हैं और मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने प्रदूषण के मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं।
अरावली पहाड़ियों पर खनन का खतरा
सोनिया गांधी ने अपने लेख में कहा कि मोदी सरकार ने अरावली पहाड़ियों के लिए लगभग एक 'डेथ वारंट' जारी कर दिया है, जो पहले से ही अवैध खनन के कारण बर्बाद हो चुकी हैं। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों पर खनन के लिए सख्त नियम लागू नहीं होंगे।
सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
उन्होंने आगे लिखा कि अरावली के उत्तरी हिस्से में स्थित राष्ट्रीय राजधानी इस महीने अपनी वार्षिक स्मॉग समस्या का सामना कर रही है। धूल, धुएं और बारीक कणों की धुंध लाखों लोगों पर छा गई है, जो इस जहरीली हवा को अपने अंदर ले जा रहे हैं। हालांकि स्मॉग अब हमारी वार्षिक दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है, लेकिन शोध यह दर्शाते हैं कि यह एक धीमी गति से चलने वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य त्रासदी है।
यूरेनियम प्रदूषण की चिंता
‘भूजल नमूनों में मिला यूरेनियम’
सोनिया गांधी ने उल्लेख किया कि अनुमान के अनुसार, केवल 10 शहरों में हर साल लगभग 34,000 लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है। हाल ही में सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड की रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में जांचे गए 32 प्रतिशत भूजल नमूनों में पीने योग्य सीमा से अधिक यूरेनियम पाया गया है। पंजाब और हरियाणा के पानी के नमूनों में इससे भी अधिक प्रदूषण सामने आया है।
नीति में सुधार की आवश्यकता
सोनिया गांधी ने कहा कि हमें पिछले एक दशक में किए गए कानूनों और नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए, जो हमें इस विनाशकारी स्थिति में ले आई हैं। मोदी सरकार को वन (संरक्षण) नियम, 2022 में किए गए संशोधनों को वापस लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाना चाहिए और पर्यावरण से जुड़े मामलों में बेहतर समन्वय की आवश्यकता है।