सोने और क्रिप्टो करेंसी की कीमतों में वृद्धि: अमेरिकी बाजार की स्थिति
सोने और क्रिप्टो करेंसी की बढ़ती कीमतें
सोने के दामों के साथ-साथ क्रिप्टो करेंसी की कीमतों में भी तेजी आई है। अमेरिकी शेयर बाजार उच्च स्तर पर बने हुए हैं, जबकि अमेरिकी सरकार के बॉंड्स पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हाल ही में, प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की कीमत में नौ प्रतिशत की गिरावट आई है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने का मूल्य प्रति औंस 4000 डॉलर से अधिक हो गया है। भारत में बुधवार को 24 कैरेट सोने की कीमत प्रति दस ग्राम सवा लाख रुपये को पार कर गई। इस वर्ष सोने की कीमत में 51 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो एक असामान्य स्थिति है, और यह अंतिम सीमा नहीं है। अमेरिकी निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि 2026 के अंत तक सोने का मूल्य प्रति औंस 4,900 डॉलर को पार कर जाएगा। वहीं, मॉर्गन स्टैनली के विशेषज्ञों ने निवेशकों को सलाह दी है कि वे अपने निवेश का कम से कम 20 प्रतिशत सोने में लगाएं। यह ट्रेंड दर्शाता है कि लोग डॉलर से जुड़े निवेशों से पैसे निकालकर सोने की खरीदारी कर रहे हैं, जो अमेरिकी मुद्रा में घटते विश्वास का संकेत है।
इस समय, सोने के साथ-साथ क्रिप्टो करेंसी की कीमतें भी बढ़ रही हैं, जबकि अमेरिकी शेयर बाजार का सूचकांक ऊंचा बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी सरकार के बॉंड्स इस स्थिति का शिकार बने हैं। पिछले महीने में, प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की कीमत में नौ प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे अमेरिका के वित्तीय क्षेत्र में चिंता बढ़ गई है। कहा जा रहा है कि पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की व्यापार नीति, संस्थाओं के प्रति अनादर और वर्तमान में चल रही सरकार-बंदी के कारण निवेशकों का विश्वास डगमगा गया है।
पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भू-राजनीतिक उद्देश्यों के लिए अपनी मुद्रा का उपयोग किया, जिससे डॉलर सिस्टम से अलग होने की प्रवृत्ति विश्व स्तर पर उभरने लगी थी। ट्रंप के शासनकाल में अस्थिरता और अनिश्चितताएं और बढ़ गई हैं। ऐसे समय में, निवेशक सोने का सहारा लेते हैं, जिसे सदियों से सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है। इसके अलावा, यह भी संकेत मिल रहे हैं कि चीन अपनी मुद्रा युवान को सोने से समर्थित करने की दिशा में बढ़ रहा है। इस प्रकार, सोने की महंगाई के पीछे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रवृत्तियां और भू-राजनीतिक घटनाएं महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, इसका नकारात्मक परिणाम यह है कि सोना आम जनता की पहुंच से बाहर होता जा रहा है।